Page 20 - Konkan Garima 17th Ebook
P. 20
अक - 17 माच , 2021
ं
िक वहा िह दी वाले को कोई सफ़ े द कॉलर वाली नौकरी नह अनेक लोग ऐसे भी है जो गलामी क े समय म िवदश े म गए
ँ
ु
िमल सकती। यही कारण है िक आज क यवा पीढ़ी जो और अ ेजी न आने क े बावजद यापार िकया। वह सफल
ँ
ु
ू
नौकरी का ल य लेकर पढ़ रही है वह अ ेजी क े साथ आगे और बड़े यापारी बने। पज ं ाब से गए अनेक लोग ने िबना
ँ
ँ
बढ़ रही है। यह है िक या वह िबना िह दी क े िकतना अ ेजी क े अपना काम िकया। ि थित यह है िक अनेक लोग
आगे बढ़ पाएगी। एक बात साफ कर द िक नौकरी म यो यता तो यह कहने लगे ह िक िवदश े म कई े ऐसे है जहां िह दी
एक अलग मायने रखती है। सभ ं व है िक बारहव पास अ ेजी का भाव साफ िदखता है। अनेक गैर िह दी दश े म जाने
ँ
ँ
न जानने वाला कह ब धक बन जाए। उसक े नीचे अ ेजी पर वहां िह दी का मह वपण योगदान है। हम भारत म भी यही
ू
का इंजीिनयर काम कर। बध ं कौशल अपने आप म एक दख े सकते ह । अनेक गैर िह दी दश े म जाने पर वहां िह दी
ँ
अलग िवधा है और िजनम यह गण है उनक े िलए अ ेजी कोई म वाता लाप िकया जा सकता है। कह -कह तो अ ेजी का
ँ
ु
मायने नह रखती। ऐसे म कह अगर िकसी स ं थान म शि ान न होने वाले भी है पर िह दी म वहां भी काम हो जाता है।
का क िकसी िह दी भाषी क े पास रहा तो उसे कभी सबसे बड़ी बात यह है िक भले ही कोई िह दी न जानता पर
खशामद भी करनी होती है जो क े वल िह दी म सहज हो उससे आप अपनी भाषा क े कारण आ मीयता का यवहार
ु
सकती है। ऐसे म यि को अपनी िवकास या ा क े िलए तो पा ही सकते हो जो िक समय पड़ने पर अ यत ं आव यक
िह दी भाषा न होने या अ प होने से बाधा लगेगी तो वह या होता है।
करग े ा? अगर िह दी क े सहार ेकोई िवकास करता है यक नन हम दख े रहे ह िक भारत म क ं पिनयां अपना िव तार सभी
वह रा का ही क याण करग े ा। उसका िवकास अत ं तः कह जगह कर रही है। वह चाह या न चाहे उ ह शारी रक म करने
ँ
न कह रा क े ित उसका आ मिव ास बढ़ाता है िजससे वाले लोग क आव यकता होती है। तय बात है िक अ ेजी
वह दसर ेलोग क े साथ एक होकर रहना चाहता है। वाल म शारी रक मता अिधक नह होती। अब ि थित यह
ू
ँ
दसरी बात यह है िक हमार ेदश े म समय क े साथ रा ीय तर भी हो सकती है िक कह ब धक अ ेजी का है तो बौि क
ू
ँ
पर इधर से उधर रोजगार क े कारण पलायन बह त ह आ है। काम वाल को उसे भािवत करने क े िलए अ ेजी क
पहले हम अपने दश े का मानिसक भगोल समझ । हमारा पव ू आव यकता पड़ सकती है। अगर कह शारी रक म क
ू
े वन क े साथ खिनज, पि म उ ोग, उ र कित क े साथ बह लता है तो ब धक को भी िमक से काम लेने क े िलए
ृ
ही मन य तथा दि ण बौि क स पदा क ि अ यत ं सप ं न िह दी पण प से आनी ही चािहए। कहने का मतलब यही है
ू
ु
है। हम यहां उ र क कित तथा मन य स पदा क बात िक पज ं ी, म और बि का तारत य अब इस दश े म क े वल
ु
ू
ु
ृ
करग े। दरअसल हमार े उ री म य े म किष स पदा है तो िह दी भाषा से जम सकता है। औ ोिगक िवकास क े िलए
ृ
ँ
यहा जनस ं या घन व भी अिधक है। जहां -जहां बौि क प तीन क आव यकता होती है। म शि पर िनभ र रहने
से े ता का हो वहां दि णवासी लोग का कोई जवाब वाले पढ़ाई नह करते या कम करते ह उनसे काम लेने क े
्
नह तो उ र भारतीय लोग को लोहा माना जाता है। िलए पज ं ी और बौि क वग को उसक भाषा आनी चािहए ।
ू
खासतौर से िबहार, उ र दश े , म य दश े , छ ीसगढ़ और हमार ेकहने का अिभ ाय यह है िक हम जब किष पर िनभ र थे
ृ
राज थान से म शि पर े भारत म फ ै ली है। िजस तरह तब िजतनी िह दी भाषा क आव यकता थी। उससे यादा
ू
भारत से बाहर गए मशील यि य ने िह दी का िवदश े म अब है। पज ं ी, बि और म का तारत य अब िह दी क े िबना
ु
ू
िव तार िकया वैसे ही इन िह दी भाषी िमक ने भारत क े सभ ं व नह है। तय बात है िक तीन क े बीच एक पता होगी तो
अद ं र ही िह दी का िव तार िकया है। यहा यह भी बता द उनसे जड़े तीन यि य को भी उसका ितफल िमलेगा।
ु
ँ
ँ
भारत क े बाहर नौकरी क े िलए ही अ ेजी का मह व है वरना तब उनम वयमेव एकता होगी दश े एक उ नित क ओर
यापार म क े वल बि क ही आव यकता होती है। भारत क े बढ़ेगा ।
ु
18