Page 48 - Konkan Garima 17th Ebook
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रघवीर सहाय
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                     ज म : 9 िदसब ं र 1929, लखनऊ
                     म य : 30 िदसब ं र 1990, िद ली
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                     रघवीर सहाय समकालीन िहद ं ी किवता क े  सव ं ेदनशील किव थे। रघवीर सहाय िह दी क े  सािह यकार व
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                                                                             ु
                     प कार थे। इ ह ने ' तीक', 'वाक' और 'क पना' अनेक पि काओ ंक े  सप ं ादक मंडल क े  सद य क े   प म
                     काय  िकया। इनको किव क े   प म  'दसरा स क' से िवशेष  याित  ा  ह ई। इनक  सािह य सेवा भावना क े
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                     कारण ही इनको “सािह य अकादमी स मान” से स मािनत िकया गया।



                     रचनाए:- रघवीर सहाय िहद ं ी सािह य क े  सफल किव ह । इ ह ने समकालीन समाज पर अपनी लेखनी
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                     चलाई। इ ह ने समकालीन अमानवीय दोषपण  राजनीित पर  य  ं योि  तथा नए ढंग क  किवता का
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                     आिव कार िकया है। इनक   मख रचनाए  ंिन निलिखत ह -
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                     का य स ह :- 'सीिढ़य  पर धप म ', 'आ मह या क े  िव  ', 'हस ं ो हस ं ो ज दी हस ं ो', 'लोग भल गए ह ',
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                     'आ मह या क े  िव  ' इनका  िस  का यस  ं ह है। 'सीिढ़य  पर धप म ' किवता-कहानी-िनबध ं  का अनठा  ू
                     सक ं लन है।
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                     का यगत िवशेषताए:- रघवीर सहाय समकालीन िहद ं ी जगत क े   िस  किव ह । इनका का य समकालीन
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                     जगत का यथाथ  िच ण   तत करता है।
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