Page 46 - Konkan Garima 17th Ebook
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अक - 17                                                                                          माच , 2021
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                                                                           ु
               सामने दख े   या गरदन पीछे मोड़कर ऊपर आसमान क  ओर      •  मधमेह,   मोटापा,   थायराइड  आिद  रोग   म   िवशेष
               दख े ने का  यास कर    ।  यान रख , आपक े  हाथ परी तरह सीधे   लाभदायक है।
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                                                                                      ृ
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               ह  या यिद क े ह नी से मड़े ह  तो क े ह िनया आपक  बगल  से   •  आ म िव ास म  वि ,  यि  व िवकास म  सहायक है।
               िचपक  ह ।                                            •  इसका िनयिमत अ यास करने वाले  यि  को  दय रोग,
                                                                                                     ु
               अ म ि थित - पव तासन                                      उ च र चाप, िन न र चाप, मधमेह, गिठया, क ज
               स म ि थित से अपनी कमर और पीठ को ऊपर उठाए, दोन            जैसी सम याओ ंक े  होने क  आशक ं ा बेहद कम हो जाती
                                                           ँ
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               पज   और  हथेिलय   पर  परा  वजन  डालकर  िनत ब   को        है।
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               पव तशङग क  भाित ऊपर उठा द   तथा गरदन को नीचे झकाते   •  मानिसक तनाव, अवसाद, ए  ं जायटी आिद क े  िनदान क े
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                                                            ु
               ह ए अपनी नािभ को दख े  ।                                 साथ  ोध, िचड़िचड़ापन तथा भय का भी िनवारण
               नवम  ि थित  -   एकपाद सारणासन  ( चतथ   ि थित)            करता है।
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                                                                                                     ू
                                                                          ू
                                                                                         ू
               आठव  ि थित से िनकलते ह ए अपना दाया पैर दोन  हाथ  क े    अतः सय  नम कार स पण  शरीर का पण   यायाम है। सय   ू
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               बीच दािहनी हथेली क े  पास लाकर जमा द।    कमर को नीचे   नम कार गितशील आसन माना जाता है। इसका अ यास
                                                                                       ू
               दबाते ह ए गरदन पीछे क  ओर मोड़कर आसमान क  ओर          आसन  क े  अ यास क े  पव  करना चािहए। इससे शरीर सि य
                                                                                                   ू
               दख े  ।बाया घटना जमीन पर िटका होगा।                  हो जाता है, न द, आल य व थकावट दर हो जाती है। इसिलए
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                                                                                                           ू
               दशम ि थित – ह तपादासन                                शारी रक  एव  ं मानिसक  आरो य  क े   िलए  सय नम कार
               नवम ि थित क े  बाद अपने बाए पैर को भी आगे दािहने पैर क े    ेय कर है
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               पास ले आए । हथेिलया जमीन पर िटक  रहने द    । सास बाहर  सय  नम कार क  सीमाए :  ं
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               िनकालकर अपने म तक को घटन  से सटा द    ।  यान रख ,    •  इसका अ यास सभी आय वग  क े  लोग अपनी  मता का
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               घटने मड  नह , भले ही आपका म तक उ ह   पश  न करता हो।       यान रखते ह ए कर सकते ह । पाद ह तासन का अ यास
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               एकादश ि थित - ( ह तो ानासन या अध च  ासन )                सायिटका, ि लप िड क तथा  पॉि डलाइिटस क े  रोगी
               दशम ि थित से  ास भरते ह ए सीधे खड़े ह । दोन  हाथ  क       कदािप न कर।
               खली हथेिलय  को िसर क े  ऊपर ले जाते ह ए पीछे क  ओर   •   ोजन शो डर क  सम या से   त लोग पव तासन,
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                                                                                           ु
               तान द   ।यथा स भव कमर को भी पीछे क  ओर मोड ।             अ ांग नम कार तथा भजग ं ासन का अ यास न कर।
                ादश ि थित -ि थत  ाथ नासन (  थम ि थित )              •  मिहलाए  ं मािसक धम  एव  ं गभा धारण क े  िदन  म  इसका
                यारहव  ि थित से हाथ  को आगे लाते ह ए सीधे हो जाए । दोन    अ यास न कर।
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               हाथ  को नम कार क  म ा म  व ः थल पर जोड़ ल  । सभी      •  उ च र चाप तथा  दय रोगी इसका अ यास यो य
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               उगिलया पर पर जड़ी ह ई ंतथा अगठा छाती से सटा ह आ           माग दश न म  कर।
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               रखते ह ए कोह िनय  को बाहर क  तरफ िनकालते ह ए दोन     •  ब च  को इसका अ यास उिचत माग दश न म  कराए  ं
                                                                                  ु
               हथेिलय  पर पार प रक दबाव द।                              तािक कोई नकसान न हो।
                                                                                                         ु
                                                                                            ु
               सय नम कार क े  लाभ :                                 •  इसक े  अ यास क े  िलए सबह का समय चन  तािक खाली
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               •  सय  नम कार से शरीर क े  सम त अग ं -  यग ं  बिल  एव  ं  पेट कर पाए  ं और अ यास करने क े  आधे घट ं े बाद ही
                    िनरोग होते ह ।                                      खाए। ं
                                                                         ु
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               •  सय  नम कार से मे द ड एव  ं कमर लचीली बनती है       ी, प ष, बाल, यवा तथा व   क े  िलए भी उपयोगी यह
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                                                                                                           ू
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                    और उदर, आ  , आमाशय, अ नाशय,  दय, फ फस  ु        सव  े   यायाम  कार, रोज करने पर हम  स पण  योग का
                    सिहत स पण  शरीर  व थ बनाता है।                  लाभ होगा। इसक े  अ यास से हमारा शरीर िनरोग और  व थ
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                                                                                                             ँ
               •  हाथ- पैर- भजा,   जघ ं ा- क ं धा  आिद  सभी  अग ं    क   होकर तेज वी होगा और हम अि ं तम स य तक पह च पाएग ं े,
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                    मांसपेिशया प  एव  ंस दर होती है।                िजसक े  क े  िलए हम  मन य का ज म  ा  ह आ है। इस हेत  ु
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               •  मानिसक शांित एव  ंबल, ओज एव  ंतेज क  वि  करता है।   शभकामनाए । ँ
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