Page 42 - Konkan Garima 17th Ebook
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अक - 17                                                                                          माच , 2021
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                                  वा  य - बबल और नीम का मह व
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                                                                                                 ु
               बबल : ू                                              िजसक े  बार  े म  सभी जानते ह । आयव द म  चम रोग  क   े
               स  ं कत : बबल, िक ं िकरात           िह दी : बबल, बबर, क कर  औषिधयां नीम से ही िनिम त होती ह ।
                                                 ू
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               लैिटन : माइमोसा अरािबका         मराठी: माबल, बबल ु   गण ु
               बग ं ला : बबलगाछ            अ  ं ेजी: Acaciatree     नौम, शीतल,  ाही, अि न, वात,  म, तषा,  वर,  ण, कफ, वमन,
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                                                                                                 ृ
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               गजराती : बाबलं                                       कोढ़ तथा  मेहनाशक है। नीम क े  प े, यिद ने   को िहतकारी ह ,
                                                                    तो टहिनयां दांत  क  सर ा करती ह । इसी  कार िनबोिलयां क ,
                                                                                     ु
                                                                                                                  ु
               प रचय                                                किम तथा िवषनाशक ह  और  वचा क  सर ा करने म  अि तीय ह ।
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               बबल क े  व  जल सि नकट भिम तथा काली िम ी म  म यत: पैदा   योग
               होते ह । इसक े  प े आव ं ले क े  प   क  अपे ा लघ तथा दीघ वत  ृ  नीम क े  प े और मोम को अलसी क े  तेल म  जलाकर, घोटकर
                                                      ु
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               जोड़े क े   प म  अिधक मा ा म  लगे रहते ह । बबल क े  कांड  थल  ू  मरहम बनाए। ं  इसे फोड़े क े  घाव पर लगाने से घाव शी  ठीक हो
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               तथा  छाल  खरदरी  होती  है।  इसक े   फल,  गोल,  पीले,  अ प  जाते ह । नीम क  पि य  को उबालकर, उस पानी से घाव धोए। ं
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                                                                                            ु
                                                                                  ू
               सगध ं वाले होते ह । इसक  फली  ेत वण  क  सात-आठ इंच लंबी  इससे घाव म  मौजद गद ं   े क टाण समा  हो जाते ह  नीम क  छाल
               होती है। बीज गोल, धसर वण  वाले चपटी आकित क े  होते ह । बबल  ू  का काढ़ा बनाकर पीने से  वर क े  बाद क  दब लता दर हो जाती है।
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                                                                                                    ु
               व  म  से  ी मऋत म  ग द एकि त िकया जाता है।           नीम क े  तेल क  मािलश करने से सभी तरह क  खजली िमट जाती
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               गण ु                                                 है। नीम क े  तेल म  शहद िमलाकर उसम  ब ी िभगोकर, कान म
               बबल  ाही, कफ, क , किम एव  ंिवषनाशक है।               रखने से कान क  पीब बद ं  हो जाती है। नीम क े  प   का रस ितल क े
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                योग                                                 तेल म  िमलाकर न य लेने से िदमाग क े  क ड़े, मर जाते ह । नीम क े
                मेह रोग म  तथा आमाितसार म  बबल का क चा प ा सेवन करने   कोमल प   का रस, गनगना करक े  िजस आख ं  म  दद  हो, उसक
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                                                                                     ु ु
               से लाभ होता है। बबल का िनया स-शीतल, ि न ध एव  ं पोषक है।   दसरी ओर क े  कान म  डाल  । यिद दोन  आख ं   म  दद  हो, तो दोन
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                                                                     ू
               इसी कारण  े मा-धरा कला क  उ ेजना ज य रोग खांसी,      कान  म  डाल । नकसीर बद ं  करने क े  िलए नीम क  पि यां और
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               गल त, र ाितसार,  ेत दर, म ाघात, म क छरािद पोड़ाओ ं    अजवायन, दोन  को पानी म  पीसकर कनपिटय  पर लेप करना
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               म  उपय  है। िवषय-ज य, अितवमन तथा अितरच े न म  इसका   चािहए।
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                व व लाभ द है। बबल का फल खांसी म  लाभ द है तथा फोड़े म
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               बबल क े  प ा लप करने से लाभ होता है। बबल छाल क े  ल ण एव  ं  नीम क  पि य  को दही म  पीसकर लेप करने से दाद िमट जाती है।
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               अिधक र  ाव म  क े वल धारण करने उसका  वाथ  णािद धोने   नीम क े  प   का अक    िमलाने से सि ं खया तथा अफ म दोन  का
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               क े  काम म   य  िकया जाता है। फोडे क े  फट जाने पर फोड़े म  जो   नशा उतर जाता है। नीम क े  व  क े  ऊपर क  छाल हटकार पानी क े
                                                                                         ृ
               दाह होती है, वह भी इसे शांत हो जाती है।  ेत  दर और म ाघात   साथ चद ं न क  रह िघसकर मंह पर लेप कर    एक स ाह म  ही चेहर  े
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               म  बबल का ग द िवशेष लाभकारी है।                      क े  दाग, ध बे, क ल, मंहासे साफ होकर चेहरा साफ हो जाएगा।
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                                                                                    ु
               मा ा                                                 नीम क  छाल, सफ े द च दन, कटक , स ठ, िचरायता, िगलोय,
                                                                                            ु
                वाथ 5 तोले से 10 तोले तका ग द 5 माशा से 1 तोला तक ।  पीपल, पीपरामल, ल ग और ज ग हरड़-इन सबको समान मा ा म
                                                                               ू
               नीम :                                                लेकर, कट और छानकर चण  बनाए। ं  बालक  को 1 से 2 माशा तक
                                                                                        ू
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               स  ं कत - िन ब, िपचमद    िह दी-नीम, िन ब             तथा वय क  को 4 से 6 माशा तक सेवन कराए। ं  इससे  वर का
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               अ  ं ेजी : Nimbtree   बग ं ला : िनमगाछ
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               मराठी : कडिल ब  गजराती : िलमवडो
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               प रचय                                                नीम क  छाल, रसौती, इ  जौ तथा दा  ह दी का काढ़ा िन य
               यहां नीम का प रचय दन े े क  कोई आव यकता नह  है,  य िक
                                                                     ु
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                                                                    सबह शाम कछ िदन  तक पीने से क ं ठ क े  अनेक रोग  का शमन हो
               नीम एक ऐसा िवशाल व  है, जो  ायः सभी का दख े ा ह आ है और     जाता है।
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