Page 46 - Konkan Garima ank 19
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अंक - 19                                                                                        माच , 2022








            वषा ऋतु                                             वषा ऋतु  - शीतल , दाह एवं अि न मंद करने वाली और वायु

             ै
                         े
            वशाख और  य  –  ी मऋतु               काित क  और      को क ु िपत करनेवाली है।


            अगहन == शरद   ऋतु                                   शरऋतु-गरम िप  को कु िपत करने वाली तथा मनु य  को
                                                                            ,
                            =

            आषाढ़ और  ावण   ावृट्ऋतु पौष  और  माघ  ==            म यम बल  दान करन वाली है।

                              =
                                                                                   े
                                                                        े
            हेम तऋतु                                            ि दोष क संचय का समय

                                                                         )
                                                                    (
                 े
                                                                          -

                                                                                                     ,

            गंगा क दि ण  देश  म  वषा  अिधक होती है, इसी कारण  वायु  वात यह  ी मऋतु म  सिचत होती है  ावृट्ऋतु म
            मुिनय  ने वषा  और  ावृट् दो ऋतुएं अलग-अलग कही ह ।  कु िपत होती है और शरद्ऋतु म   वयं शांत हो जाती है।
                                                                    -


                                                                                          ,
                 े
            गंगा क उ र  े   म  सद  जोर-से पड़ती है, इसिलए हेम त   िप  वषा ऋतु म  संिचत होता है शरद्ऋतु म  कु िपत होता है
            और िशिशर दो ऋतुएं अलग-अलग ह । हेम त और िशिशर        और वसंतऋतु म   वयं शांत हो जाता है।
                                                                कफ हेम तऋतु म  संिचत होता है वसंतऋतु म  क ु िपत

                                                                    -
                                                                                              ,
            क गुण-दोष समान ह ।  ावृट् और वषा क गुण-दोष भी

             े
                                                े
                                                                होता  है  और   ावृ ऋतु  म    वयं  शांत  हो  जाता  है।
                                                                                 ट
            समान जैसे ही ह ।
                                                                              े
                                                                                े
                                                                    -

            सु ुत म  िलखा है िक उ म ऋतुएं  वा  यवधक होती ह ।    दोष संचय होन क ल ण
                                                                         े
                                                                         -
            िक तु यिद ऋतुओं क िवपरीत या िवषम ल ण ह , तो         जब अपन अपने  थान  म  ि थत दोष  क  वृि  होती है,
                              े

            मनु य   क  वातािद  दोष  कु िपत  हो  जाते  ह ।  गिमय   म    तब  ास से कोठा भर जाता है। अंग  म  पीलापन आ जाता
                    े
            आव यकता से अिधक गम , सद  म  आव यकता से              है। अि न मंद हो जाती है। शरीर भारी होने लगता है और
                                                                आल य घरता है। िजन पदाथ  से दोष बढ़ते ह  उनम
                                                                          े

                                                                                                           ,
            अिधक सद  और बरसात म  आव यकता से अिधक वषा
                                                                अ िच हो जाती है अथा त् उन पदाथ  से िदल हट जाता है।
                                                                               ;

                                    े
            होना, यही उ म ऋतुओं क िवपरीत  ल ण ह  अथवा
                                                                जब ये ल ण िदखाई पड़ तब समझ लेना चािहए िक दोष-

                                                                                     ,

             ी मऋतु म  सद  पड़ और हेम तऋतु म  गम  पड़ या कभी
                                                     े
                             े
                                                                                                             े
                                                                संचय ह आ है। यिद उसी समय उसक  वृि  को रोकन का
                                                े
            अिधक सद -गम  पड़, तो िवषम ऋतुओं क इन ल ण  से
                              े

                                                                               ,
                                                                                               ,
                                                                उपाय िकया जाए तो अ छा रहता है  य िक िवलंब होने

            वातािद दोष क ु िपत होकर शरीर म  अनेक रोग  क  उ पि
                                                                से दोष वृि  पाकर बह त बलवान हो जाता है।
            करते ह ।
                    े
            ऋतुओं क गुण-दोष
                                                                                      े
                                                                क ु िपत दोष  क शांित क उपाय
                                                                              े
                                                                      -
                    -
                                   ,

            हेम तऋतु शीतल िचकनी िवशषकर   येक पदाथ को
                           ,
                                        े


                                                                                -
                                                                िजन ऋतुओं म  जो जो दोष मनु य  क शरीर म  क ु िपत होते
                                                                                               े
             वादु  करने वाली  और  जठराि न को  बढ़ाने  वाली  है।
                                                                 ,
                                                                ह  उन उन ऋतुओं म  उ ह  उ ह  दोष  क  शांित वाले
                                                                                        -

                                                                      -
            िशिशरऋतु-अ यंत शीतल     ,  खी और वायु को बढ़ाने
                                                                पदाथ  लेने चािहए। जैसे वसंत म  कफ को शांत करने वाले

                              े
            वाली है अथात् वायु क रोग क  उ पि  करती है। इस मौसम
                                                                पदाथ  सवन करन चािहए। वषा  म  वायु कु िपत होती है,
                                                                               े
                                                                       े
            म  जठराि न भी ती  हो जाती है।


            वसंतऋतु-िचकनी है पदाथ  म  मधुरता उ प न करती है      इसिलए वषा  म  वायुनाशक अथात् वायु को शांत करने
                              ,

            और कफ को बढ़ाती है यानी कफ को क ु िपत करती है।       वाले आहार लेने चािहए। शरद्काल म  िप  कु िपत होता है,
                              ,
                                                 े
             ी मऋतु-  खी   , पदाथ  म  ती णता करन वाली  , िप     इसिलए इस मौसम म  िप  को शांत करने वाले पदाथ  का
                                                                  े
            यानी  गम   उ प न  करने  वाली  और  कफ नाशक  है।      सवन करना चािहए।
                                                  -
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