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अंक - 19 माच , 2022
वषा ऋतु वषा ऋतु - शीतल , दाह एवं अि न मंद करने वाली और वायु
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वशाख और य – ी मऋतु काित क और को क ु िपत करनेवाली है।
अगहन == शरद ऋतु शरऋतु-गरम िप को कु िपत करने वाली तथा मनु य को
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आषाढ़ और ावण ावृट्ऋतु पौष और माघ == म यम बल दान करन वाली है।
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हेम तऋतु ि दोष क संचय का समय
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गंगा क दि ण देश म वषा अिधक होती है, इसी कारण वायु वात यह ी मऋतु म सिचत होती है ावृट्ऋतु म
मुिनय ने वषा और ावृट् दो ऋतुएं अलग-अलग कही ह । कु िपत होती है और शरद्ऋतु म वयं शांत हो जाती है।
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गंगा क उ र े म सद जोर-से पड़ती है, इसिलए हेम त िप वषा ऋतु म संिचत होता है शरद्ऋतु म कु िपत होता है
और िशिशर दो ऋतुएं अलग-अलग ह । हेम त और िशिशर और वसंतऋतु म वयं शांत हो जाता है।
कफ हेम तऋतु म संिचत होता है वसंतऋतु म क ु िपत
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क गुण-दोष समान ह । ावृट् और वषा क गुण-दोष भी
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होता है और ावृ ऋतु म वयं शांत हो जाता है।
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समान जैसे ही ह ।
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सु ुत म िलखा है िक उ म ऋतुएं वा यवधक होती ह । दोष संचय होन क ल ण
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िक तु यिद ऋतुओं क िवपरीत या िवषम ल ण ह , तो जब अपन अपने थान म ि थत दोष क वृि होती है,
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मनु य क वातािद दोष कु िपत हो जाते ह । गिमय म तब ास से कोठा भर जाता है। अंग म पीलापन आ जाता
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आव यकता से अिधक गम , सद म आव यकता से है। अि न मंद हो जाती है। शरीर भारी होने लगता है और
आल य घरता है। िजन पदाथ से दोष बढ़ते ह उनम
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अिधक सद और बरसात म आव यकता से अिधक वषा
अ िच हो जाती है अथा त् उन पदाथ से िदल हट जाता है।
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होना, यही उ म ऋतुओं क िवपरीत ल ण ह अथवा
जब ये ल ण िदखाई पड़ तब समझ लेना चािहए िक दोष-
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ी मऋतु म सद पड़ और हेम तऋतु म गम पड़ या कभी
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संचय ह आ है। यिद उसी समय उसक वृि को रोकन का
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अिधक सद -गम पड़, तो िवषम ऋतुओं क इन ल ण से
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उपाय िकया जाए तो अ छा रहता है य िक िवलंब होने
वातािद दोष क ु िपत होकर शरीर म अनेक रोग क उ पि
से दोष वृि पाकर बह त बलवान हो जाता है।
करते ह ।
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ऋतुओं क गुण-दोष
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क ु िपत दोष क शांित क उपाय
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हेम तऋतु शीतल िचकनी िवशषकर येक पदाथ को
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िजन ऋतुओं म जो जो दोष मनु य क शरीर म क ु िपत होते
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वादु करने वाली और जठराि न को बढ़ाने वाली है।
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ह उन उन ऋतुओं म उ ह उ ह दोष क शांित वाले
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िशिशरऋतु-अ यंत शीतल , खी और वायु को बढ़ाने
पदाथ लेने चािहए। जैसे वसंत म कफ को शांत करने वाले
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वाली है अथात् वायु क रोग क उ पि करती है। इस मौसम
पदाथ सवन करन चािहए। वषा म वायु कु िपत होती है,
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म जठराि न भी ती हो जाती है।
वसंतऋतु-िचकनी है पदाथ म मधुरता उ प न करती है इसिलए वषा म वायुनाशक अथात् वायु को शांत करने
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और कफ को बढ़ाती है यानी कफ को क ु िपत करती है। वाले आहार लेने चािहए। शरद्काल म िप कु िपत होता है,
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ी मऋतु- खी , पदाथ म ती णता करन वाली , िप इसिलए इस मौसम म िप को शांत करने वाले पदाथ का
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यानी गम उ प न करने वाली और कफ नाशक है। सवन करना चािहए।
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