Page 45 - Konkan Garima ank 19
P. 45

अंक - 19                                                                                        माच , 2022








            िप दोष                                              है। कफ भी नाम,  थान  और कम भेद से पांच तरह का होता

            िप  एक  कार का पतला   य है। यह गम  होता है।  है। इसे िन न पांच नाम  से जाना जाता है-

            सतोगुणी, द त लाने वाला, चरपरा, ह का, िचकना और       1.  लेदनकफ       2. अवल बनकफ            3. रसनकफ
                                                                                    े
                                    े
            ती ण होता है; िक तु पाक क समय इसका  वाद ख ा हो      4.  नेहनकफ       5.   म णकफ
                                                                 लेदनकफ  अ न  को  गीला  करता  है,  इसी  कारण  से
            जाता है। नाम,  थान और कम भेद से िप  पांच  कार का
                                                                एकि त ह आ अ न अलग-अलग हो जाता है। अवल बन
            होता है
            1. पाचकिप          2 . रंजकिप        3 . साधकिप     कफ रसयु  वीय  से  दय भाग का अवल बन और म तक


            4. आलोचकिप             5.  ाजकिप                    दोन  भुजाओं क  हड्डी का संधारण करता है। रसन कफ
                                             ,

                                                                 े
            पाचकिप  आमाशय और प वाशय म  रंजकिप  यकृत  रस  हण करता है। रसनकफ रस को  हण करता है।

             लीहा म  साधकिप   दय म  आलोचकिप  दोन  आंख    नेहनकफ िचकनाई से सम त इंि य  को तृ  करता और

                                    ,
                   ,
                                                म

            म  और  ाजकिप  सम त शरीर और      वचा  रहता है।       श  म   णकफ संिधय  को जोड़ता है।

                                                                    े
            1. पाचकिप - यह आमाशय और प वाशय रहकर भ य,
            भो य, च य , ले , चो य और पेय; छह  कार आहार  को  ऋतु -  ान
                                                                                -
                               ो
                             क

                        े
            । पचाता है, शषाि न  बल को बढ़ाता है तथा रस, मल,      भारतवष  षट् ऋतु संप न देश है। संव सरा मक काल-

                                                                                         े
                        क
            मू  और दोष   अलग अलग करता है। यह िप  मु य           िवभाग म  माघ से आरंभ करक बारह माह होते ह  और दो-

                          ो
                                 -
                                                                            -
                                   ो
                                 क

            है। इसी से शेष चार िप    सहायता िमलती है। यह िप     दो माह म  एक एक ऋतु होती ह । इस भांित एक वष  म  बारह
                                                े
            (अि न) बड़े शरीर वाल  म  जौ क समान छोट शरीर वाल  म    माह और छह ऋतुएं होती ह ।
                                      े
                                                                                   -

                                                                धमशा ानुसार ऋतु  िवभाग
                                                      े
            ितल क समान क ट-पतंग आिद जीव  म  बाल क समान
                  े

                                                                माघ और फा गुन—िशिशरऋतु  ावण और भा पद ==
                                                                                            ,
            होता है।
                                                                                           ै
            2. रंजक  िप -यह यकृ त और  लीहा म  रहकर र  को        वषा ऋतु    चै   और  वशाख  –  वसंतऋतु


            बनाता है।                                           आि नऔर काितक ==       शरद्ऋतु
                                                                   े



                                                                                     -


                                                                 य   और  आषाढ़  ी मऋतु,             अगहन  और
            3. साधक  िप -यह  दय   म  रहकर मेधा और धारणशि
                                                                पौष  ==  हेम तऋतु
                                                                                 ,
            को ती  करता है।


            4. आलोचक िप - यह दोन  आंख  म  है, इसी  ाणी          उपयु  ऋतु-िवभाग धम शा ानुसार है। इस  कार बांधी

            सबक ु छ देख पाता है।                                ह ई ऋतुएं धम काय  और देवकायािद म  मानी जाती ह । वात
                                                                                                          े
                                                                              े

            5.   ाजक िप -शरीर  म     ांित  उ प न  करता  है  और   आिद  दोष   क  संचय,  कोप  और  शांित  क  िलए
                                                                                                         े
            मािलश िकए ह ए तेल तथा लेपन आिद को पचाता है।         आयुव दाचाय  महिष  सु ुत ने ऋतु-िवभाग दूसर  कार से

            कफिप                                                िकया है।
                                                                  ै
            कफिप  भारी, सफद, िचकना, शीतल, तमोगुणयु  और  व कशा ानुसार ऋतु  िवभाग
                            े
                                                                                     -



                       ,

                       ै
                                        े
            मधुर होता  लेिकन जल जान से यह      खारा हो जाता     फा गुन और चै  – वसंतऋतु  भा पद और आि न ==
                      ह
                                                              43
   40   41   42   43   44   45   46   47   48