Page 42 - Konkan Garima ank 19
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अंक - 19                                                                                        माच , 2022








            नेट पर नह  िमलेगा। साथ ही, घूमने से िदमाग को िमलने
                                                                                                  े
                                                                      े
                                                                िकले क दोन  तरफ सुर ा क   ि  से गहर दरा  बनाए गये ह ।
            वाली शांित कई सम याओं का िनराकरण कर सकती है।
                                                                                 े
                                                                                              े
                                                                                                     े
                                                                िशवाजी महाराज क जावली     खोर जीत क प ात मोरो
                इसी तरह हम सकड़  वष  पूव  िशवाजी महाराज क
                              ै

                                                                          ल
                                                                ि ंबक िपंग को इस िकले क िनमाण क  अनुमित दी।
                                                                                          े
                                                                            े
                                                  े
                                              े
                                                      े
            वीरता क  बात  सुनते-पढ़ते आए ह , उनक बड़-बड़ िकल
                                                                पहले मु य िकला( े फल 3885      चौ.मी.) और बाहरी
             े
                 े
            क बार म  जानते रहे ह , यिद हम  वयं वहां जाकर,   य
                                                                िकला,(3660   चौ.मी.) इस तरह दो भाग  म  बंटा था। दोन
                                                            े
             प से यिद उन िकल  को देख  तो िशवाजी महाराज क
                                                                       े
                                                                भाग  क आसपास बड़-बड़ तालाब  का िनमा ण सुर ा
                                                                                        े
                                                                                    े
            बुि मानी पूण  शासन, िकल  क  सुर ा, बनावट आिद क

                                                            े
                                                                कारण  से िकया गया। िकले क आसपास भारी तटबंदी
                                                                                           े
               े
            बार म  जान सकते ह ।
                                                                                                         5
                                                                                    े
                                                                                             ँ
                                                                                                    0
                                                                                                  1
                                                                                                        1

                                                                और सुर ा बु ज (खंब-िजनक  ऊचाई  से   मीटर)
                                       े
                                                  े
            इस बार हम आपको  तापगढ़ क िकले क बार म  जानकारी
                                              े
                                                                बनाए गये ह । उसी समय औरंगजेब दि ण क  तरफ से
            दे रहे ह  –

                                                                मंिदर  आया और क ु छ उप व ह आ था।
                                                                     म
                वष  1665  म  िशवाजी महाराज ने  तापगढ़ िकले क

                                                                          ,
                                                                नाना पेशवा फड़णवीस और सखाराम बाबू यहां क ु छ िदन
                                           े
            न व डाली थी। इस िकले से क कण क सैकड़  िक.मी. दर-
                                                          ू
                                                                                  े
                                                                क  िलए नज़रबंद  थ। इसक  बाद  1818     म   यह िकला
                                                                 े
                                                                                        े
                ै
            दूर फले ह रयालीयु , सुंदर, नयनािभराम   य  को देख
                                                                                  े
                                                                ि िटश मराठा यु  क बाद ि िटश सरकार क अधीन आ
                                                                                                      े
                                                                      -
            सकते ह  जो  कृ ित का अ ुत वरदान-सा लगता है। ऊपर से
                                                                गया।
            यिद आप इस िकले को देख  तो यह फू ल क  पँखुड़ी-सा
                                                                         े
                                                                आज़ादी क बाद इस िकले पर छ पित िशवाजी महाराज
            िदखाई पड़ता है। दो वष  म  बनाए गए इस िकले को मराठा
                                                                क    मीटर ऊची भ य, अ  पर सवार मूित   थािपत क  गई
                                                                           ँ
                                                                   5
            शासक छ पित िशवाजी ने इस िकले को नीरा और कोयना
                                                                िजसका  अनावरण  1957      नवबंर  माह  म   त कालीन
            निदय  क  तरफ से सुर ा बढ़ाने क उ े य से बनवाया था।
                                        े
                                                                                                       े
                                                                 धानमं ी जवाहरलाल नेह  ने िकया। इसक बाद िशव
            समु ीतल से लगभग 3543    फु ट क  ऊचाई पर यह िकला
                                            ँ
                                                                छ पित   ित ान  ने  एक  िवशाल  सभागृह  का  िनमाण

            है।  यह   पर  छ पित  िशवाजी  महाराज  न  'तुलजा
                                                    े
                                                                िकया। तुलजा  भवानी मंिदर से क ु छ दूरी पर अफज़ल खान
                         े
            भवानी'(मंिदर क समीप दो ऊची दीपमाला भी िदखाई देती
                                    ँ
                                                                क  क  बनी है जहां  ितवष  उस  आयोिजत िकया जाता है ।
            है, जब यहां पर दीप जलाए जाते ह  तो वह   य बहद
                                                          े
                                                                                 े
                                                                                     े
                                                                                                    े
                                                                    1818   म  अं ज  क साथ ह ए तीसर मराठा यु  म
            मनोहारी होता है) माता का और भगवान शंकर का भ य
                                                                                                                े
                                                                मराठ  को खूब नुकसान ह आ और यह िकला कु छ समय क
            मंिदर बनाया। बताते ह  िक िकले क  खुदाई/िनमा ण क
                                                            े
                                                                             े
                                                                िलए अं ेज  क पास रहा। वत मान म  इसका  वािम व
            दौरान एक भ य- िशविलंग िमला इसिलए िशव का मंिदर
                                                                         े
                                                                                                    े
                                                                िशवाजी क वंशज  ी उदयनराजे भोसले क पास है। बताते
                                       े
                                   े
                                              े
            बनाया गया जो बाले  िकले क  वश  ार क प ात ही है।
                                                                ह   िक  इस  िकल  पर  िशवशाही  परंपरानुसार  आज  भी
                                                                               े
                     िजस वष  यह िकला बना, उसी वष  इसी िकले से
                                                                         े
                                                                सूय दय क पूव  इसक  ार खोल िदए जाते ह  और सूया  त
                                                                                 े
            िशवाजी महाराज और अफज़ल खान क बीच भयंकर यु
                                             े
                                                                प ात बंद कर िदए जात ह ।
                                                                                   े
            ह आ था और इस यु  म  िशवाजी महाराज क  िवजय ह ई
                                                                 ै
                                                                कस पह ँच-
                                                                         े
                                                                    े
            थी, इससे मराठा सा ा य को अपनी शि , साहस िमला।       िकले पर आप आसानी से चढ़ या जा सकते ह । महाबले र
            इसिलए इसे 'साहसी िकला' क नाम से भी जाना जाता है।    से  महाड़  क  रा ते  पर आंबेनली  घाट  क  नजदीक
                                     े
                                                                                                        े

                                                                                     ,
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