Page 6 - Konkan Garima 17th Ebook
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अक - 17                                                                                          माच , 2021
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                                िव  िहदी िदवस: िहदी भाषा का गौरव
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                                                                    ं
                                                                                                      - सदानद िचतले
                                                                                                             ं
                                                                                             राजभाषा अिधकारी, बेलापर   ु
               िव  म  िहद ं ी का िवकास करने और इसे  चा रत- सा रत करने   अिलफ और अिलफ से अ फा बना। एक बह र भारत भी था
                                                                                                      ृ
               तथा िहद ं ी को िव  भाषा क े   प म    तत करने क े  उ े य से “िव    िजसका  तर आज क े  खाड़ी दश े   से लेकर ईरान, अफगािन तान,
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                                                                                     ु
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               िहद ं ी स मेलन ” क  श आत क  गई और  थम “िव  िह दी     बमा , थाईल ड, िसग ं ापर (िसह ं पर), इंडोनेिशया (िहद ं ि े शया) तक
                                                                                            ु
               स मेलन” 10 जनवरी, 1975 को नागपर म  आयोिजत िकया गया।   था। आज भी इन दश े   क े  लोग  क े  नाम भारतीय  क े  समान ह  जैसे
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               इसक े  उपल य म  भारत क े  पव   धानमं ी डॉ. मनमोहन िसह ं  जी ने   इंडोनेिशया क  मेघावती सकण प ी,  ीलंका क े  ि क े टर अरिवद ं
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                                                                                             ु
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               10 जनवरी, 2006 को  ित वष  10 जनवरी को “िव  िह दी     और अज न रणतंग वगैरह । पव  एिशया क े  अनेक दश े   क े  नाम तक
                                                                           ु
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               िदवस” क े   प मनाए जाने क  घोषणा क  थी। तदनसार भारतीय   भारतीय ह - समा ा, जावा (जो स  ं कत श द यव से बना है) मलय
               िवदश े  मं ालय ने िवदश े  म  10 जनवरी, 2006 को पहली बार िव    (जो रोमन िलिप क े  भाव से मलाया हो गया), क ं भोज (अ  ं ेजी क े
                                                                                                       ु
               िह दी िदवस मनाया था। तब से “िव  िहद ं ी िदवस”  ित वष  10    भाव क े  कारण क ं बोिडया हो गया)।
               जनवरी को मनाया जाता है। िवदश े   म  भारत क े  दतावास इस िदन
                                                    ू
               को िवशेष  प से मनाते ह । सभी सरकारी काया लय  म  िविभ न      जम नी क े  कछ छा  इसिलए स  ं कत सीखते ह  िक स  ं कत  ृ
                                                                                                  ृ
                                                                                 ु
               िवषय  पर िहद ं ी म   या यान आयोिजत िकए जाते ह  तथा िविभ न   सीखने क े  बाद िव  क  कोई भी भाषा सीखना आसान हो जाता है।
               काय  म भी आयोिजत िकए जाते ह ।                        स  ं कत को क ं  यटर क े  िलए सबसे उपय  भाषा माना गया है। एक
                                                                                ू
                                                                                                 ु
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                                                                                                              ु
                                                                    यरोपीय या ी जो 12व  शता दी म  भारत से होकर गजरा था,
                                                                     ू
               आइए अब िव  म  िह दी क े   सार क े  बार  ेम  जानकारी लेते ह । यएन  ू  उसने अपनी डायरी म  िलखा है िक म  िहद ं वी भाषा जानता ह   ंअत:
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               (सय ं   रा  ) क े  अनसार पर  ेिव  म  बोली जाने वाली कल भाषाए  ँ  मझे ईरान से लेकर िह दि े शया तक भाषा क  कोई सम या नह
                                                                     ु
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               6809 ह  और इनम  से सबसे अिधक बोली जाने वाली भाषा     होगी  य िक मझे   येक  थान पर िह दवी बोलने और समझने
                                                                               ु
               मंडा रन है जो िक चीन क  राजक य भाषा भी है। इसक े  बाद  थान   वाले िमल जाएग ं े अथा त आज से करीब 900 साल पहले िहद ं ी इस
               आता है िहद ं ी का । भारत और िवदश े  म  लगभग 50 करोड़ लोग   िव  म   या  थी और आज भी  या  है। आज टीवी चैनल  पर
               िहद ं ी बोलते ह  और इस भाषा को समझने वाले लोग  क  कल  ु  सग ं ीत क   ितयोिगताओ ंवाले काय  म और अ य धारावािहक
               स  ं या लगभग 90 करोड़ है । िहद ं ी भाषा का मल  ाचीन स  ं कत  ृ  िव  भर म  दख े े जा रहे ह  । मीिडया का सचना सस ं ार अब िहद ं ी का
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               भाषा म  है । इस भाषा ने अपना वत मान  व प कई शताि दय  क े    भ  बन गया है ।
               प ात  ा  िकया है। बड़ी स  ं या म  बोलीगत िविभ नताए  ंआज भी
               मौजद ह  । िहद ं ी क  िलिप दव े नागरी है, जो िक कई अ य भारतीय   आज िहद ं ी िव  क े  लगभग पचपन दश े   म  फ ै ले स र करोड़ से
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                                                            ृ
               भाषाओ ंक े  िलए सय ं   है । िहद ं ी क े  अिधकतम श द स  ं कत से   अिधक लोग  क  अिभ यि  क  भाषा बन गई है। बां लादश े ,
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               आए ह । इसका  याकरण क  भी स  ं कत भाषा क े  समान है ।  नेपाल, पािक तान, अफगािन तान आिद भारत क े  पड़ोसी दश े   म
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                                                                    िहद ं ी सप ं क    भाषा क े   प म  फ ै लती जा रही है। िव  क े  दो सौ से
               उ लेखनीय  है  िक  सभी   धान  भारतीय  भाषाओ ं क   जननी   अिधक िव िव ालय  म  िहद ं ी क े  भाषाई और सािह य पर िश ण
               स  ं कत है। एक समय स  ं कत िव  पर राज करती थी। स  ं कत का   एव  ं अनसध ं ान हो रहा है। स िस  लेखक अ यतानंद िम  एक
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                                                                          ु
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                ान अज न करने क े  िलए पर  े िव  क े  लोग त िशला, नालंदा और   लेख म  बताते ह  िक िहद ं ी म   याकरण लेखन क  श आत डच क े
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                                                                                                          ु
               िव मिशला जैसे भारतीय िव िव ालय  म  आते थे । िव  क े  बह त   एक िव ान 'जोशआ क े टिलयर' ने 1695-98 म  लखनऊ म  क
                                                                                 ु
               से दशे   क े  बीच सप ं क    भाषा क े   प म  स  ं कत न िसफ     मख थी   थी। वष  1744 म  ब ज़ािमन श तज ने ' ामेटका िहद ं ो तािनका'
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               बि क यह अ य भाषाओ ंक े  तकनीक  श द  को भी  भािवत कर   प तक िलखी थी। यह प तक लैिटन भाषा म  थी। 1773 म
                                                                                        ु
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               चक  थी। स  ं कत भारत म   चिलत अक ं  िव ा, दशमलव  णाली,   जॉनफ़ य सन क  'िहद ं  तानी िड शनरी'  कािशत ह ई। िगलि  ट
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               आयिव  ान, रसायन और भेषज िव ान, गिणत, भगोल, खगोल      ने 1787 -1796 क े  बीच कोलकाता म  'िहद ं  तानी कोश' तैयार
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                                                      ू
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               िव ान और  योितषशा  क े  श द भारत से फारस, अरब, तक     ु  िकया था। 12 अग त, 1881 का जो आदश े  लंदन से से े टरी
               और यनान होते ह ए यरोप तक पह च ं े। स  ं कत क े  मात, िपत और   िसिवल सिव सेज़ कमीशन को भेजा गया उसक े  अनसार भारत
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                ात से प रवित त हो कर मदर, फादर और  दर हो गए। 'अ' से   आने वाले अ  ं ेज  को िहदं ी मै यअल पढ़ना और िहद ं ी क  परी ा
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