Page 10 - Konkan Garima 17th Ebook
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अक - 17                                                                                          माच , 2021
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                                     आशिलिप -  कल आज और कल                                          - सावनी माईणकर,
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                                                                                                  िनजी सिचव, र नािगरी
               'आश' स  ं कत भाषा का श द है िजसका अथ  – ती , शी ,    तथा प कार  आिद क े  िलए आशिलिप का  ान और  िश ण
                                                                                              ु
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                वरा है यथािप इसे कछ िहद ं ी सब ं ोधन  ा  ह ए ह  िजनम    अिनवाय  माना जाता था। अ य  भाषाओ ं म   वरालेखन का
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               'आशिलिप'  ती   लेखन,   शी   लेखन,    वरालेखन,        आिव कार बह त बाद म  ह आ। वा तव म  िवदश े ी शासन क े
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               सक ं े तलेखन आिद तथा अ  ं ेजी म  शॉट हॅ ड है।        अधीन होने क े  कारण हमार  े दश े  क  न तो कोई राजभाषा थी
               आशिलिप को सीखने क े  िलए  यि  म  लगन आ मिव ास,       और न कोई  ांतीय भाषा ही अपने  ांत म  सरकारी कामकाज
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               एका िच ता, प र म, समप ण क  िजतनी अिधक भावना          म  िवशेष मह व  ा  कर सक  थी। इसिलये िहद ं ी टंकण क
               होगी, वह उतने ही अ प समय म  इसे सीख सकता है। इसे     तरह, िहद ं ी  वरालेखन क  मल  ेरणा  शाट ह ड से ही  ा  ह ई ।
                                                                                          ू
               सीखने क े  िलए ताकत क े  बजाए ती  एव  ं सत ं िलत िदमाग क    भारत म   वरालेखन क े  िवकास क  एक कथा है िक जब
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               आव यकता  यादा होती है जो िक सफलता क  क ं जी है।      िलखने क े  िलये बैठे तब उनक े  सम ं ख यह सम या उपि थत ह ई
                                                                                              ु
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               आशिलिप सीखने क े  िलए कोई बड़ी-बड़ी मशीन या औजार       िक इस िवशाल महाभारत को कौन िलिपब  करग े ा। गणेश जी
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               नह  लगते ह , बि क यह एक बह त ही िविच  सक ं े त िलिप   इस  द कर  काय   क े   िलये  किटब   ह ए।  भगवान  वेद यास
                                                                         ु
                णाली होती है, िजसे प िसल क े  मा यम से आडी-ितरछी,   धारा/ वाह बोलते जाते और गणेश जी उसे िलिपब  करते
               मोटी-पतली, व  लक र     बनाकर िलखा, समझा या पढ़ा जाता   जाते थे। िक ं त यह ह ई पौरािणक बात  वरालेखन क  ।
                                                                              ु
               है।                                                  सस ं ार क  भाषाओ ंम   वरालेखन का  यास  ाय:  म  ईस पव   ू
               आशिलिप (Shorthand) िलखने क  एक िविध है िजसम          63 म  ह आ। रोम क े  सीनेट म   आिद क े  भाषण  को नोट करने क े
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               सामा य लेखन क  अपे ा अिधक ती  गित से िलखा जा         िलये  (Marcus Tullius Tiro) ने  वरा लेखन क  एक  णाली
               सकता है। इसम  छोटे  तीक  का उपयोग िकया जाता है।      का आिव कार िकया, िजसे 'िटरोिनयन नोटे' कहा जाता था।
               आशिलिप म  िलखने क  ि या आशलेखन (Stenography)  इस  णाली का  चलन रोम सा ा य क े  पतन क े  प ात कई
                                                                                                                 ्
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               कहलाती है।  टेनो ाफ  से आशय है तेज और सि ं    लेखन।   शताि दय  बाद तक रहा। इसक े  साथ ही ईस क  चौथी शता दी
               इसे िह दी म  'शी लेखन' या ' वरालेखन' भी कहते ह ।     म   म   वरालेखन का आिव कार ह आ िजसका  चलन आठव
               िलखने और बोलने क  गित म  अत ं र है। साधारण तौर पर िजस   शता दी तक रहा ।
               गित से कशल से कशल  यि  हाथ से िलखता है, उससे              इस समय म  ' ाइटस िस टम' (Brights System)
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               चौगनी, पाचगनी गित से वह सभ ं ाषण करता है। ऐसी ि थित म    नामक शाट ह ड का आिव कार ह आ। िफर सन 1630 ई.
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                                                                                                           ्
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               व ा क े  भाषण अथवा सभ ं ाषण को िलिपब  करने म  िवशेष    वरालेखन पर एक प तक  कािशत कराई। इसक े  प ात सन  ्
                                                                                                                 ्
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                प से किठनाई उपि थत हो जाती है। इसी किठनाई को हल     1737 ई. म   वरालेखन क  'यिनवस ल इंगिलश शाट  ह ड'
                                                                                              ू
               करने क े  िलये  वरालेखन क े  आिव कार क  आव यकता पड़ी।   नामक एक प तक  कािशत कराई। िक ं त इन सभी प ितय  म
                                                                              ु
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               आशिलिप क  बह त सी प ितया ह । आशिलिप क े  सभी तरीक    लघ ाण अ र  को हटाकर तथा कछ अ य अ र  को श द  क े
                                                                       ु
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               म   ायः  य  होने वाले कछ श द  एव  ंवा यांश  क े  िलए सक ं े त   बीच म  से िनकालकर सि ं    िकया जाता था, इससे व ा क े
               या लाघव िनि त होते ह । इस िविध म  सिशि त  यि  इन     भाषण को नोट करने म  सह िलयत हो जाती थी। लेिकन इसक े
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               स  ं ेप  का उपयोग करक े  उसी गित से िलख सकता है िजस   साथ ही  विन क े  आधार पर िलखने का भी  यास होता रहा।
               गित से कोई बोल सकता है। स  ं ेप िविध वण  पर आधा रत    विन प ित (Phonetic System) :  विन प ित क  प तक
                                                                                                                ु
               होती  है।  आजकल  बह त  से  सॉ टवेयर   ो ाम   म   भी   ' टेगो ािफक साउंड ह ड' (Stenographic Sound hand)
               आटोक  लीट आिद क   यव था है जो आशिलिप का काम          सन 1937 ई. म   कािशत ह ई। इस प ित म   वर और  यज ं न
                                                                       ्
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               करती है ।                                            को अलग-अलग िच ह  से िनधा  रत िकया गया । साथ ही
               आशिलिप का  योग उस काल म  बह त होता था जब  रकािड ग    सि ं    करने का भी एक िनयम बनाया गया । इस प ित का
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               मशीन  या िड टेशन मशीन  नह  बन  थ ।  यि गत से े टरी   िवकास होता गया और आगे चलकर यह  णाली बह त ही
                                                                  8
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