Page 9 - Konkan Garima 17th Ebook
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अक - 17                                                                                          माच , 2021
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               लेिकन इस आधार पर नह  िक अपनी ही रा  भाषा का मान-     पच म गव  क े  साथ लहरा सक े  । िजस भाषा को सरलता से
               स मान खो िदया जाए । अ  ं ेजी जानना, बोलना सामािजक  दि ण से लेकर पि म,  पव  तक क े  नाग रक बोल, िलख और
                                                                                        ू
                ित ा का  ितमान बन गया है । इसी मानिसकता पर  हार  समझ सक े  । यही सब गण उ ह  िहद ं  तानी भाषा यािन िह दी
                                                                                                 ु
                                                                                       ु
               करते ह ए गांधीजी ने 1 जन, 1921 को यग ं  इंिडया म  िलखा था,  और उद  िमि त भाषा म  िदखाई िदए । िजस भाषा को उ ह ने
                                                                          ू
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               “अ  ं ेजी आज इसिलए पढ़ी जा रही है िक उसका  यावसाियक  रा  भाषा का दजा  िदया है । गांधीजी िजस भाषा क े  िहमायती
               तथा तथाकिथत  मह व है । हमार  े ब चे अ  ं ेजी यह सोच कर  थे वह आम जन क  भाषा थी, िजसम  सरकारी कामकाज भी
               पढ़ते ह  िक अ  ं ेजी पढ़  िबना उ ह  नौक रया नह  िमलेगी ।  सरलता और िबना अवरोध क े  करने म  भारतीय जनता स म
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               लड़िकय  को अ  ं ेजी इसिलए पढ़ाई जाती है िक उससे उनक   हो ।
               शादी म  सह िलयत होगी । म  ऐसी िकतनी औरत  क े  बार  े म       इस  कार से हम दख े ते ह  िक भारत क े  रा  िपता महा मा
               जानता ह  िक जो अ  ं ेजी इसिलए सीखना चाहती थी िक  गांधीजी अपनी जनता, अपने दश े  का िवकास अपनी भाषा म
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                                                                                              ु
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               अ  ं ेज  क े  साथ वे अ  ं ेजी म  बातचीत कर सक े  । म  िकतने ऐसे   ही सभ ं व मानते ह । शारी रक गलामी से तो बाप भारत को
               पितय  को जनता ह  िज ह  इस बात का मलाल है िक उनक   आज़ाद करा गए, वह  मानिसक गलामी क े  िलए भी वह अपने
                                                                                               ु
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               बीिवया उनक े  साथ और उनक े  दो त  क े  साथ अ  ं ेजी म  बात  समय म  ही जनता को जाग क करने क  भरपर कोिशश कर
                                                                                                         ू
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               नह  कर सकती । मझे ऐसे प रवार  क  जानकारी है, जहां  रहे थे । अपने िवचार  और लेख  क े  मा यम से गांधी जी ने
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               अ  ं ेजी मातभाषा बनाई जा रही है । ये सारी बाते गलामी क   भारतीय जनता और यवा पीढ़ी क े  सम  भाषा क े   े  म  आने
                                                                                      ु
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               और घोर पतन क े  िच ह ह  । म  इस बात को बरदाशत नह  कर  वाली हर चनौती का समाधान क ै से करना है उसका माग
                                                                                                    ु
               सकता िक दश े ी भाषाए इस तरह कचल दी जाए, भख  मार  सक ं े त   म   बताया  है  ।  क े वल  ि थर  बि   से  समझने  क
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               डाली  जाए  ।”(िशवसागर  िम ,िह दी  हम  सबक ,   भात  आव यकता है । अ यथा गलामी का खतरा अभी टला नह  है।
                                                                                  ु
                काशन,िद ली,1986)                                        मैिथलीशरण ग  क े  श द  क े  साथ गांधी जी क  भाषा  ि
                                                                        ू
                   गांधी जी का यह उ त कथन इसी ओर इशारा करता है िक  को पण  िवराम दत े ी ह  ;- ँ
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               वह 1921 म  बैठे ह ए 21 व  सदी म  हो रहे रा  भाषा क े  साथ हो
               रहे अ याय पर चचा  कर रहे ह  और उस पर लगातार िलख रहे
                                                                                  “ भरा नह  जो भाव  से,
               ह , इससे भीषण ि थित और  या हो सकती ह  िक िवदश े ी भाषा
                                                                                 बहती िजस म  रसधारा नह ,
               ने अपनी भाषा, स यता और स  ं कित को भल अ  ं ेजी भाषा,
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               स यता और स  ं कित क े   ित गलाम बना िदया है ।                      वह  दय नह  है,प थर है,
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                   गांधी जी ने एक ऐसी भाषा क  ओर अपनी इ छा  य  क  है
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               िजसम  भारतीय जनता को एक स  म  बांधने क   शि  हो, वह
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               भारत नह  भारत क े  बाहर भी अ य रा  ीय  तर पर अपना















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