Page 8 - Konkan Garima 17th Ebook
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अक - 17                                                                                          माच , 2021
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                                         महा मा गाधी क  भाषा  ि
                                                                                                       - अजली पवार
                                                                                                          ं
                                                                                          व र  िटकट परी क, र नािगरी
                   भारत या अ य िकसी भी दश े  म  भाषा का सवाल एक  3)  अिधकांश भारतीय उस भाषा को बोलते हो ।

               मह वपण  सवाल है। भारत जैसे दश े  म  िजसक  राजभाषा एक  4)  सार  ेदश े  को उसे सीखने म  आसानी हो ।
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               ऐसी भाषा बनी ह ई है िजस दश े  क े  वािसय  ने सिदय  तक  5)   ऐसी भाषा को चनते समय  िणक या अ थायी प रि थय
                                                                                    ु
               भारत को गलामी क  जज ं ीर  म  जकड़ कर रखा था और  को मह व नह  िदया जाना चािहए ।
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               आजादी क े  उपरांत भी भाषा क   ि  से आज भी भारत को

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               गलाम  बना  रखा  है।  भाषा  क े   िवषय,  उ पि ,  इितहास,  उपय   ल ण  क े  सद ं भ  म  अ  ं ेजी भाषा का िव ेषण करते ह ए
               िवकास,  गित   इ यािद पर अनेक भाषािवद  और भाषा  गांधी जी ने कहा था- “अ  ं ेजी भाषा म  इनम  से एक भी ल ण
               िव ािनय  क े  अपने-अपने मत रखे ह  । िज ह ने बह त िव तार  नह  है।” (सप ं ण  गांधी वाङ मय,खंड-1,  काशन िवभाग,भारत
                                                                                        ्
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               क े  साथ भारत क  भाषाओ ंएव  ं बोिलय  पर अपने िवचार  य   सरकार, िद ली) उनका  ढ़ िव ास था िक सीखने वाल  क े
               कर, एक परा इितहास यवा पीढ़ी क े  सम  रख िदया है।      िलए अ  ं ेजी भाषा सरल नह  है । भारतीय  क े  िलए भारत क
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                   महा मा गांधी क  िजस  कार से अ य िवषय  पर  ि  और  िकसी भी भाषा क  तलना म  अ  ं ेजी किठन भाषा है । िजसका
                                                                                     ु
               िवचार बह त ही  प  थे। उसी  कार से भाषा और िवशेषतः   योग भारत क  जनता क े  िलए सरल और सिवधाजनक नह
                                                                                                        ु
               भारत क  राजभाषा क े  सब ं ध ं  म  भी उतने ही  प  और  है ।

               िनणा यक रहे ह । गांधी जी को भारत क  जनता उनक े  नेत व,      इसक े  अित र  अ य िब दओ ंपर चचा  करते ह ए उ ह ने
                                                                                             ु
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               सहयोग, अिहस ं ा, सदाचार आिद िवशेषताओ ंक े  िलए अपना  आगे कहा- …“समाज म  अ  ं ेजी का इस हद तक फ ै ल जाना
               आइिडयल मानती ह  । आजादी क  लड़ाई म  जहां लगभग  नाममिकन मालम होता है । तीसरा ल ण अ  ं ेजी म  हो ही नह
                                                                                ू
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               स पण  भारत गांधी जी क े  कदम से कदम िमलाकर चल रहा था  सकता, य िक वह भारतवष  क े  बह जन समाज क  भाषा नह
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                                                                                     ँ
               वह  वत मान समय म  राजभाषा क े  सब ं ध ं  म   य  एक जट नह   है।  चौथा ल ण भी अ ेजी म  नह  है,  य िक सार  ेरा   क े  िलए
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               है? उसल   य  गांधीजी क े   ारा कहा गया यह वा य “ कह दो  वह इतनी आसान नह  । उ ह ने आगे कहा था िक आज अ  ं ेजी
               गांधी अ  ं ेजी भल गया है” भारत क  जनता क  जबान और  भाषा को जो स ा  ा  है, वह  िणक है । िचर थायी ि थित
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               िदमाग तक नह  आ पा रहा ह  ?  या हम गांधी जी क े  उसल ,  तो यह है िक िहद ं  तानी जनता म  रा  ीय काम  म  अ  ं ेजी भाषा
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               आदश  आिद को भलते जा रहे है?  या अ  ं ेजी भाषा क   क  ज रत कम ही रहेगी । हम कह  भी अ  ं ेजी भाषा से  ेष नह
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               मानिसकता ने गांधीजी क े  सपन  क े  भारत को धध ं ला और धीर  े  करते ह  । हमारा आ ह तो यह है िक  हम उसे उसक  मया दा क े
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               –धीर  ेअध ं क रमय बना रही ह  ? ऐसे अनेक सवाल है जो िदमाग  बाहर बढ़ने दन े ा नह  चाहते । रा   क  भाषा अ  ं ेजी नह  हो
               म  एक ऐसी त वीर बना डालते ह  जो िवचार करने को िववश  सकती । अ  ं ेजी को रा  भाषा बनाना दश े  म  'ए पेरट   ' को
               करते है, िक  या भारत क  राजभाषा अ  ं ेजी क  गलामी से  दािखल करना है । अ  ं ेजी को रा  भाषा बनाने क  क पना
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               आज़ाद हो पायेगी?  या अ  ं ेजी मानिसकता क े  चग ं ल से भारत  हमारी िनब लता क  िनशानी है । 'ए पेरट   ' का  यास िनर  े
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               क  जनता अपने को आज़ाद कर पाएगी?                       अ ान का सचक होगा” (सप ं ण  गांधी वाङ मय, खंड-14,
                                                                                                       ्
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                   गांधी जी क े  मतानसार रा  भाषा म  कछ िवशेषताए  ं होनी   काशन िवभाग,भारत सरकार, िद ली)
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               चािहए िजनक े   व प पर काफ  गहन-मनन एव  ं िवचार करने      उपय   कथन से  प  हो जाता है िक गांधीजी रा  भाषा
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               क े  उपरांत रा  भाषा म  पाच गण  को आव यक माना है:    अ  ं ेजी को िकसी  प म  भी  वीकार करने क े  िलए तैयार नह
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               1)  उसे सरकारी कम चारी आसानी से सीख सक   ।           थे । वह  प   प से कहते ह  िक अ  ं ेजी भाषा या अ य िकसी
               2)  वह सम त भारत म  धािम क, आिथ क और राजनीितक  भी भाषा क े   ित िकसी भी  कार का राग या  ेष उनक े   दय म
               सप ं क    क े  मा यम क े   प म   योग म  लाने हेत स म और समथ   नह  है । भाषा क   जानकारी होना बह त अ छा है । हर भाषा का
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               हो ।                                                 अपना  ान-िव ान होता है, उनका समथ न करना चािहए ।
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