Page 27 - Konkan Garima 17th Ebook
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अक - 17                                                                                          माच , 2021
               ं






                                                िश ा और  यवसाय                                     - ि या िनक े त पोकले


                                                                                                         ु
                                                                                                किन  अनवादक, बेलापर  ु
               िश ा का  योजन है  यि  का स पण  और सम  िवकास,  पाठय म श  िकये गये ह  और उ च पद पर िनय  होकर
                                                                                                             ु
                                                                       ्
                                                                              ु
                                              ू
               उसक े  शरीर, मन, बि  तथा आ मा को सबल-सश  बनाना,  जीिवका कमाते ह ।  वय  ं यवसाय करने लगते ह  या  यवसाय-
                               ु
               उसम  अ छे-बर, े  उिचत-अनिचत, पाप-प य, िहत-अिहत का  घरान  म  उ च पद पर िनय  होकर जीिवका कमाते ह ।  वय  ं
                                      ु
                                                ु
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                                                                                         ु
               िववेक जीवन म  लाना । िश ा मन य को स य, सस  ं कत,   यवसायी  लोग  भी  अपने  बेटा-बेिटय   को  इस   कार  क े
                                                         ु
                                                             ृ
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                                                                       ्
               शालीन,  स च र   बनाती  है,  उसे  जीवन  जीने  क   कला  पाठय म पढ़ाने क े  िलए लालाियत रहते ह । कछ तो  यवसाय
                                                                                                        ु
               िसखाती है। िश ा  ा  करनेवाला अपना ही नह  स पण   ू    क े  नए-तौर-तरीक े  सीखने क े  िलए उ ह  िवदश े   म  भेजते ह  । ये
                                                                                                           ँ
               मानवता का िहत-साधन करता है ।                         दिनया ह नरदार लोग  को ही पछती है। पहले मा-बाप अपने
                                                                                             ू
                                                                     ु
                यवसाय का अथ  है जीिवत रहने क े  िलए, जीिवकोपाज न क े   ब च  को डा टर, इंजीिनयर ही बनाना पसद ं  करते थे,  य िक
               िलए कोई काम-ध धा करना िजससे  ा  आय से  यि   क े वल इसी  े  म  रोजगार क े  अवसर सिनि त ह आ करते थे,
                                                                                                   ु
               अपना, अपने प रवारजन  का लालन-पालन कर सक े , जीवन  लेिकन अब ऐसा नह  है।  िश ण और कशलता हमार  ेक रयर
                                                                                                   ु
               क  अ य आव यकता परी कर सख-चैन से जीवन िबता सक े  ।   पी  ेन का इंजन है, िजसक े  िबना हमारी िज दगी क  गाड़ी
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               वह  यवसाय करता है क े वल अपने िहत क े  िलए सस ं ार क े  िहत  चल ही नह  सकती, इसिलए  जीवन म  आगे बढ़ना है, सफल
               से उसे कोई लेना-दन े ा नह  है।  यवसायी  यि  क े वल उतना  होना है,  क  ड तो होना ही पड़ेगा।
               पढ़ता-िलखता है िजससे वह िहसाब-िकताब कर सक े , बही-    आज  यावसाियकता एक  दश े  या एक दश े  म  िसमट कर नह
               खाता िलख सक े , आव यकता पड़ने पर अ य  यापारी को प   रह गयी है। वह रा  ीय और इससे भी बढ़कर अ तरा   ीय
               िलख सक े । उनम   यवसाियक बि  ज मजात होती है। इसी   तर क  हो गई है। अतः यिद कोई  यवसायी अ तरा   ीय  तर
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               मानिसकता क े  कारण कई स प न-सम   यवसायी अपनी  पर सफल होना चाहता है तो उसे अनेक  ित ि दय  से  पधा
               स तान को िव ालय  म  नह  भेजते, कहते ह  इ ह  कौन-सी  करनी पड़ती है और  पधा  म  वही जीत सकता है, आगे बढ़
               नौकरी करनी है जो पढाई-िलखाई म  समय, शि , धन न   सकता है िजसे अ तरा   ीय  यावसाियक गितिविधय  क
               कर।    यिद कभी आव यकता ह ई तो िकसी पढ़े-िलखे यो य  जानकारी हो, अ तरा   ीय जिटल िनयम -कानन  का  ान
                                                                                                           ू
                यि  को अपने काया लय म  िलिपक, टंकक या मैनेजर क े   प  हो। अनपढ़ या अ पिशि त  यि  इन िनयम -कानन  को न
                                                                                                             ू
               म  रख ल गे। कहने का ता पय  यह िक िश ा और  यवसाय का  जानता है, न समझता है, अतः उसे  िशि त, यो य, िनपण,  ु

               कोई सीधा स ब ध नह  है।                               अ तरा   ीय  यापा रक गितिविधय  को जानने-समझने वाले
                                                        ु
               आज ि थित बदल गयी है। आज िश ा पाने का म य ल य   यि य  पर िनभ र होना पड़ता है। कभी-कभी िजन चतर,  ु
               जीिवकोपाज न हो गया है। िव ाथ  िव िव ालय क  िड ी  शाितर, यो य  यि य  को वह नौकर रखता है, या सहायक
               इसिलए  ा  करता है तािक उसक े  बल पर उसे रोजगार,  बनाता है वे ही उसे धोखा दक े र  वय  ं उसका  थान पा लेते ह ।
               नौकरी िमल सक े । नौकरी भी एक  कार का  यवसाय ही है।  अतः आज क े   यवसायी क े  िलए िश ा  ा  करना अ य त

               दसर, े  यवक  क  अपार भीड़ और  र  पद  क  िसिमत स  ं या  आव यक हो गया है। अब  यवसाय और िश ा का गहरा
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               दख े कर  यह  अनभव  िकया  गया  है  िक   यवसायो मख  ु  स ब ध हो गया है।
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               (वोक े शनल)  बनाया  जाये।  छा    को  िबजली,  टेलीफोन,  आज  यवसायी और  यवसाय दोन  क  सफलता और समि   ृ
               सच ं ार, प का रता आिद  े   म  काम करने क े  िलए  िश ण  क े  िलए िश ा आव यक है। िश ा उनक े  िलए समय क  माग है
                                                                                                                 ँ
               िदया  जाये  और  अब  ऐसे  िव ालय  खल  भी  गये  ह ।  िजसको अनदख े ी नह  कर सकते, अनेदखी करने का प रणाम
                                                   ु
               िव िव ालय  क े  अथ शा  तथा वािण य िवभाग  क े  अ तग त  होगा असफलता।
               आिफस मैनेजम ट, होटल मैनेजम ट, एम. बी. ए. आिद क े


                                                                  25
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