Page 30 - Konkan Garima 17th Ebook
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अक - 17 माच , 2021
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उ च वग म नशाखोरी का यवा पीढ़ी पर भाव
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- सिचता सिचन बामगडे,
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भड ं ार सहायक, बेलापर ु
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थम हम ये जानते और मानते ह िक नशाखोरी या है ? थकान से मि चाहते थे और प नी तथा ब च क े सािन य -
नशा मतलब एक िविश कार का पेय और मादक य सेवन नेह को या प रवार को भल जाते थे। जैसे-जैसे काय क दशाए
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करना, जो लोग ये सेवन या हण करते ह उनका मानना है िक अिधक से अिधक बदतर और असहाय होती गयी, िमक ने
नशा करने से उ ह पित िमलती है। लेिकन असल म इसक े अपनी थकान दर करने क े िलए इसक मा म वि कर दी।
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हण क े बाद इ सान अपने होशो आवास खो बैठता है। ये शराब से सब ं ि धत दकान को अनमित प िदये गए और इसे
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मादक य िकसी एक कार क े नह बि क िभ न-िभ न यावसाियक आधार पर वीकार कर िलया गया ।
कार क े पाये जाते ह । इन नशीली य क े सेवन क े सब ं ध ं म वत मान म दख े ा जाए तो उ च वग म नशाखोरी का
अनेक मत वाह चिलत ह । कछ िव ान क े अनसार इनका िव तार बढ़ गया है और यक नन इसक े अनिगनत बर े भाव म
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सेवन करने से यि को एक उ ेजना का अनभव होता है और यवा पीढ़ी आ रही है। मझे यक न है िक आप भी मेर ेइस बात से
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कछ समय क े िलए उसे मानिसक परश े ािनय तथा िचत ं ाओ ंसे अपनी सहमित दशा एग ं े!
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बचने का पया अवसर िमलता है । इसक े कारण सामने आ रहे ह । आिथ क समानता एव ं
दिनया क े येक समाज म िकसी न िकसी प म नशा िवप नता दोन ही ि थितयां मादक य या नशाखोरी को
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कहे या मिदरापान हर जगह पाया जाता है। कछ समाज म इसे उ प न करती है। उ च आिथ क समह क े यि य क े िलए
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बरा समझा जाता है, तो कछ समाज म इसे आव यक प से मादक य सेवन शान एव ं वैभव का तीक है। उ च आिथ क
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हण िकया जाता है! गरीब लोग ठरा , ताड़ी और धनी लोग समह से सत ं ध आिभजात यि अपनी स नता को दिश त
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ि ह क , रम, सोलन, क ं च और अ य बिढ़या शराब पीते ह । करने क े िलए अिधक म यवान मादक य का य करते ह
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मादक य का और म पान का िनि त प से शरीर पर बरा ु और ये सभी सारआ े म अपने ब च क े सामने चलता रहता है।
भाव पड़ता है। यवा वग भी इस ि या को साम य मानकर अपना लेते ह ,
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भारतीय समाज म नशाखोरी अथा त मादक य एव ं िकसी िदन बड़े बजग क े सामने इसका आनंद लेते नजर आते
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म पान का सेवन दिनया के अ य दश े क तलना म अिधक ह और अ य क बात ये है िक घर क े बजग भी इस ि या म
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ाचीन है। ऐसा कहा जाता है िक, आय लोग जब भारत म आए शािमल हो जाते ह । जाहीर सी बात है, म पान करना गलत है
तो वे "सोमरस'' पीते थे । यह एक पेड़ का था िजसका नाम ये सज ं हने वाले ही गलत कर रह है। तो इस ि या का िव तार
सोमाया रस होता था । इसे पीना बरा नह माना जाता था। यवा वग म तेजी से बढ़ना िनि त था । इसक े बर े भाव से यवा ु
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इसका योग अ छी न द लाने और मधर सपने का आभास वग अपनी शारी रक और मानिसक ि थित म ीण होता जा
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होने और िचत ं ाओ ंको भलाने क े िलए िकया जाता था । ऐसा रहा है !
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लगता है िक शराब पीना पाप नह माना जाता था और इसे एक अधिनक स यता क े िव तार क े साथ प रवार क े
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सामािजक आव यकता क े प म वीकार िकया जाता था । पर परागत व प म प रवत न हो रहा है । प रवार क े
िक त, इसे सीिमत मा म िलया जाता था। साथ ही म पर परागत व प याग कर जनतांि क प रवार का व प
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ितबि ं धत यि य ारा ितबि ं धत अवसर पर हण िकया हण कर रहे ह । इस स ं मण शीलता क अव था म आज का
जाता होगा । प रवार अनेक िवपथगाना मक यवहार को ज म दन े े लगा है ।
िक त, आज औ ोगीकरण क े प रणाम व प जबिक जो एक समय इससे कोसो दर थे । नगरीकरण तथा
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जीवन और काय क दशाए य त और बदतर हो गयी, इसे औ ोगीकरण क अव था से पव प रवार किष धान तथा
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सामा य यि ने आव कता क े प म वीकार कर िलया । आ म िनभ र होते थे, इससे परा प रवार एक दसर े क मन
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ाचीन काल म शराब पीने का कारण यह था िक वे अपने मया दा का मान रखता था । जाहीर सी बात है िक घर क े बड़े
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