Page 31 - Konkan Garima 17th Ebook
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अक - 17                                                                                          माच , 2021
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                                                                                    ु
               और छोटे सभी म  एक स ची भावना रहती थी ।               िजसक े   भाव से द प रणामक  व प म  मादक   य एव  ं
                     ाचीन समय म  घर क े  मिखया क  स ा प रवार म   म पान का सेवन  ार भ अपना काय   यवहार प रिणत करने
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                                                                                                    ु
               सव प र होती थी। ब च  और यवाओ ंक े  सप ं क    पर परागत से   लगते ह । िजससे के वल उस  यि  या यवको ही नह  बि क,
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               होते थे। अत: सामािजकता का पाठ प रवार क े  िश ण से ही  समाज को अनेक  कार से हािन होती है। इसक े  गलत  भाव से
               पढ़ते थे व  यि  व िनमा ण  यवहार म  प रवार क  मह वपण   ू  धीर  े धीर  े समाज िवघटन क  ि थित म  आ जाता है । इसक े
                                                                                                        ु
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               भिमका थी । इस वजह से जीएचआर म  नशा करना तो दर  ू     प रणाम  व प सामािजक  यव था म  असत ं लन क  ि थित
               इसक े  बार  े म  सोचना भी कोसो दर था,  य िक जीएचआर क े   बढ़ जाती है और समाज म  गभ ं ीर अपराध घिटत होने लगते है।
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               बड़े लोग इसका  हण बाहर जा क े  करते थे और भी सीिमत  ये हम आज दख े  भी रहे ह  िक यवा इस नशाखोरी को जारी
                                                                                              ु
               मा  म  तो जाहीर सी बात है क  ब च  और यवाओ ं को  रखने क े  िलए अनेक अपराध करक े  भगतान जमा कर रहे ह  ।
                                                                                                 ु
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                यादातर इसक  भनक भी नह  लगती थी । बड़  क े  िलहाज क े      वत मान ि थित म  इस नशाखोरी से यवा पीढ़ी अपने
                                                                                                        ु
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               आदत सब बरी आदत  से यवा को दर रखते थे ।               आदश  माग  से िवमख हो गयी है । अथा त, ये कहे िक उनका
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                    वत मान प रि थित म  औ ोगीकरण, नगरीकरण क े  साथ  िवषय गमन हो गया है। इसक े   यादातर िज मेदार उ च वग  क े
               साथ पा  य स  ं कित क े   सार क े  कारण सेवा योजना हेत  ु  लोग है। इस उ च वग   ारा   तावना या  दिश त िदखावे िक
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               नगर गमन  वि  का अ यिधक िव तार ह आ है । नगरीय  जीवन शैली नशाखोरी म  धत हो रही है। समाज म  बढ़ती
                                                                                           ु
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               जीवन से पा रवा रक प रवेश म  गहरा प रवत न ह आ है । उ च  अपरािधक गितिविधयां एव  ं पि काओ ं एव  ं अ य मह वपण   ू
               िशि त प रवार  म   यादातर िपता और घर क े  अ य सद य  रचनाओ ंक े  मा यम से यवाओ ं ारा िकए गए अनैितक  यवहार
                                                                                       ु
               भी अपना समय बाहर िबताते है। िपता या िफर मा-बाप का  क  घटनाए समाज क े   मख   तत िकए जा रहे ह  । जो
                                                                                                 ु
                                                                                          ु
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               समय घर से बाहर अिधक  यतीत होने लगा है। शायद ही कभी  सामािजक  यव था को अ यव था म  बदल दन े े वाले काय
               अपने माता िपता को काय  करते दख े ा हो या यह भी कह सकते   यवहार उ च आिथ क वग  म  हो रहे ह  ।
                                                                                                             ु
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               है िक बालक अपने माता िपता क े   यवसाय िक  कित से         भारतीय  सामािजक   यव था  क े   अत ं ग त  यवा  पीढ़ी
               िब कल भी अनिभ  है। इस  कार नगरीय प रवेश म  बालक  मादक   य  यसन और म पान  वि  म  िदन  ितिदन िल
                                                                                                 ृ
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               का सप ं क    प रवा रक क  अपे ा बा  जगत से अिधक हो जाता  होती जा रही है। िजसका गभ ं ीर प रणाम समाज म  हम दख े  रहे
                                                                                                    ु
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               है।  इसक े   अित र   बालक  को  मानिसक  सर ा  क   पित   ू  ह  । मादक   य एव  ंम पान क े  सेवन से यवा पीढ़ी शारी रक एव  ं
               प रवार  ारा होनी चािहये जब वे उसे नगरीय प रवेश म  नह   मानिसक  प से िवकलांग होती जा रही है। इसक े  प रणाम से
               िमल पाती तो बालक इस अभाव क  पित  िवपथ गमन करने  ऐसी  गभ ं ीर  बीमा रयां   चिलत  हो  रही  ह   ।  अब  िजसका
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               वाले बालको व िकशोर अपराधी दलो सग ं ी-साथी समह क े   रोकथाम करना मि कल सा होता जा रहा है । आज क  नशा
                                                                                  ु
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               अत ं ग त  करता  है।  अधिनक  प रवार   िक  स  ं ामणशीलता  खोरी करने वाली यवा पीढ़ी शारी रक  प से दब ल होती जा
                                                                                    ु
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               मादक   य  क े  सेवन क े  िनरत ं र  सार म  मह वपण  योगदान  रही है। उनक  काय  मता एव  ं शारी रक  पता और शि
                                                       ू
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                 तत कर रही है।                                      िब कल  ीण होती जाती है। उसका शारी रक ढाचा भी िवकत  ृ
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                    वत मान ि थित म  यिद हम भारतीय समाज का िव ेषण  अव था म  िदखाई दत े ा है जो सहज  प म  एक िदन न  हो
               करते ह  यह  प त: तो  ि गत हो रहा है िक यवा पीढ़ी  जाती है। यवा वग  म  बढ़ती नशा का  य ये उ च वग  म
                                                                             ु
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               नशाखोरी क े   े  म  िनरत ं र वि  करती जा रही है। हम यह भी  होनेवाली बढ़ेजाव वाली नशाखोरी का  यादा  भाव है।
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                                                                                   ृ
               कह सकते है िक हमारी यवा पीढ़ी इस नशाखोरी म  जकड़ रही       पा ा य स  ं कित का अिधकार मा  म  जीवन शैली म
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               है। अिधकांश यवा पीढ़ी इसे फ़ ै शन क े   प म   हण कर रही है।  अवलोकन और आधिनक अनसध ं ानो क े  आधार पर  ात
                                                                                      ु
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               अिधकतर वग  म  शादी - िववाह एव  ं अ य मह वपण  काय  म   होता है िक िवकिसत औ ोिगक समाज म  अथा त उ च वग  क
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               म  इसका सेवन फ ै शन बन गया है। जो धीर- े धीर  ेआदत का  प  भांित िवकासशील रा   म  भी एक िनि त आय वग  क े  मा यम
                                                                                                         ु
               धरण  कर  लेती  है।  भारतीय  समाज  म    या   असािजक  म  मादक   य क  सम या तेजी से फ ै ला रही है। िव  क े
               सम याए  ं भी यवाओ ंको तनाव   त करने म  प रणायक है।  आधिनक समाजो म  इस   य क  इतना ती  िव तार  य  है ?
                                                                        ु
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