Page 35 - Konkan Garima 17th Ebook
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अक - 17 माच , 2021
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ऑनलाइन िश ा णाली- या और कस ? े
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- मकरद देवराम भारभे ं
व र अनभाग अिभयत ं ा, मडगांव
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तावना िगरवी रखना पड़ा है। सामािजक िवषमता का नया यग अवतीण
कोिवड-19 महामारी क े कारण सम त िव यापार, उसक सा ह आ है।
सव ं ाद ि या तथा सामािजक अिभसरण अभी भी िदङमढ़ है । 2) ऑनलाइन पढ़ाई क े िलए िश क वग भी म तैद नह दख े ा
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स पक से उ मा, पश से आ था , यवहार से नैसिग क सादगी जा रहा है। सम उपि थत ोता एव ं अपने सखासन म िबना
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एवम या ा से आशयसम ी चली गई है। भयचिकत सा मानव उ क ं ठा, ानानंद क े जो िव ाथ ऑनलाइन रहते ह उनक
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अपने पर े काय कलाप तथा जीवनशैली क े आयाम क े ित न हण मता म ज र अत ं र तो होता है। अपनी आकां ाओ,ं
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क े वल सचेत परत ं शक ं ाकल हो उठा है। आधिनकता क े पर े ू का समाधान ढंढने क ललक उनम कम ही पाई जाती है ।
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इितहास मे मित क इतनी अ यव था, बि का इतना िव ेप क ं फट जोन को छोड़े बगैर िश क क े वा य िव यास क ल णा-
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और िवकास पे इतना यग ं विचत ही िदखाई दत े ा है। यज ं ना का समझना किठन होता पाया गया है। िश कगण भी
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ऑनलाइन िश ा णाली का सार िव ािथ य क भाषा, अिभव ी एव ंमनो ि को समझकर पढ़ाते
महामारी क े स ं ांित काल म जैसे कई क ं पिनय ने घर से या कह नजर नह आते।
से भी काय का िवक प ढंढ़ा, रा यतं ने िश ािवद से परामश 3) आकलन और अवगाहन क पार प रक अपे ाओ ं म
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कर ल ध िति त ए आय टी, हाव ड , यडेमी-अनएक ॅ डमी- िद कते पैदा होती है। अकादि े मक िश ाही नह अिपत ु
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कोस रा-मा टर लास, एडे स, एिलसन जैसे कई स ं थान क यावसाियक िश ण, नवाचार, किठन कालमे िवशेष स ं ेरण क े
तज पर पढ़ाई क े िलए ऑनलाइन िश ा णाली को अि ं गकार भी पव िनधा रत ल य को िकसी भी तरह हािसल कर " गाब ज
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िकया। अ यथा औपचा रक रहने वाली एव ं सम ता क े कारण इन, गाब ज आउट " करने क ललक क े वल हािन पह च ं ाती है।
उ कट और जीवत ं सी ानोपासना ऑनलाइन क े कारण अिधक 4) अ यि ं तक लचीलापन , मा यम का गांभीय और िव ाज न
तरल, सगम, लचीली और बह आयामी ह ई। एक समान धरातल, क ित ा का पन:सज न करने क बजाए िवसज न करता िदख
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एक समान आकाश भी उपल ध ह आ। रहा है।
भिमका 5) जो तथा किथत पॉवर पॉइंट ेज टेशन िदए जाते ह , उनम
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सचना ौ ोिगक क े तहत इ फ़ाम शन सपर- हायवे पर भारतीय बलेट पाइंटस एवम पावर नदारद रहती ह ।
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अथ यव था ही नह सां कितक आदान- दान, दािय व तथा 6) वा याय तथा िश क ारा िदए जा रहे या यान से म ु
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परप ं रा क े िनवा ह, उ ोग क सभी इकाइयां बरबस दौड़ पड़ी है, का क ं जीगत ता पय का िट पण करना िव ािथ य को
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िजससे िश ा तं भी अपवाद नह । समय क े पाबि ं दया, बध ं नकारक नह रहा है। प र म क े बगैर ा िव ा, जीवन क े
भौगोिलक सीमाए ंटट सी गई है। समर सग ं म इन मौक म भले ह ए म यज ं य मं क े तरह ही
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" कतो सखािथ नः िव ा, िव ाथ न कतो सखम ? " यह जो मानभग ं ी होती है। मेर े िवचार मे " सादरीकरण का अनादर " ही
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सामिहक अवचेतना म गिहत था, उसे पनः काशन म लाने सबसे अहम बाधा िदख रही है।
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वाली ऑनलाइन िश ा प ित एक टे नो-सावी ीट- माट 7) कई बार फलक पर िलख जाने वाला समीकरण, फाम ला,
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िव ािथ य को गढ़ तो हो रही है परत ं मल उ ेश से भटकते ह ए खद व ा- ोता तांि क कारण से िदखाई- सनाई दन े ा बद ं हो
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िवत णा क े या ी भी बना रही है। वैसे इंटरनेट ऑफ िथं स (IOT) जाता है। िबजली क लोड-शेिडंग तथा बारब ं ार क े साधन साम ी
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क तरफ यह पहला कदम बताया जा रहा है। क िवफलता मह वपण आशय से वि ं चत कर दत े ी है। स ं ेषण
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सम याए- ं िव ान क बिनयादी शत - ज रत हताहत होती िदख रही है।
1) बह त सार ेिव ाथ जो ामांचल से ह उनक े पास मोबाइल, 8) ऑिडयो-वीिडयो को बद ं करक े ऑनलाइन उपि थित क े
क ं यटर यह साझा शै िणक िडिजटल-अवसर ं चना उपल ध नए गर िव ाथ अनायास सीख रहे ह ।
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नह है, अतः ानाज न म स म िडिजटल िडवाइस का अभाव 9) िस को वेबे स, माइ ोसॉ ट टीम, झम एप, गगल,
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बड़ी ासदी का कारण है। िक ह खेितहर , मजदर को दह े ात क े िजयोमीट जैसे बह तेर े मंच नए तांि क यािम ता को, समझ क े
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घर या खेती जोतने क े औजार या मां का ीधन तक बेचना या अडंग को बढ़ाते ह । हर कल, कोिचग ं लास अलग-अलग
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