Page 13 - Konkan Garima ank 19
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अंक - 19
अं क - 1 9 माच , 2022
िहंदी को भाषा क जननी, सािह य क ग रमा, जन-जन क नह है। इसका कारण यह है िक हम राजभाषा क उस सीिमत
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भाषा और रा भाषा भी कहते ह । ऐसे म यह कहना गलत वृ से ऊपर आ चुक ह । इस भाषा क ज रये हम अपने देश
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नह होगा िक िहंदी भिव य क भाषा है। हां, एक बात ज र को आगे ले चलना है। इसे जीवंत भाषा क प म बदलने क
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है िक हम इस भाषा का योग वा तिवक जीवन म ज र िलए राजभाषा काया वयन क िविधयां अपया ह ।
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करते है और यह रोजगार क भाषा क प म भी तेजी से
िवकिसत हो रही है। इससे यह जािहर नह होता िक िहंदी येक कायालय, उप म, शोध सं थान तथा िव ीय
भाषा िवकास क ओर बढ़ रही है। उपरो म कई ऐसे त य सं थान म राजभाषा िहंदी का योग िदल से करना होगा।
ह जो पूण प से सािबत करते ह िक िह दी का िवकास िहंदी भाषा को कवल शासिनक काय तक सीिमत न रखते
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िकतनी तजी से ह आ है। हमार देश क रा पित और ह ए इसका उपयोग तकनीक काय म भी अिधक मा ा म
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धानमं ी अपना बधाई संदेश िहंदी म सा रत करते ह िकया गया तो इसका लाभ सभी तर क किम य को होगा
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य िक िहंदी भाषा अपन व का बोध कराती है। नई ऩई इसम कोई दो राय नह । इसक साथ ही सभी कार क
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तकनीक म भी अब िहंदी भाषा का योग खुल कर िकया िश ण साम ी यिद िहंदी म अनुिदत क गई तो िवषय को
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जा रहा ह । कई मोबाइल क ं पिनय न अपने ह डसट्स म समझने म आसानी भी होगी। इसक िलए हर िवभाग ने आगे
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भारतीय भाषाओं को भी शािमल करना शु कर िदया है। आकर इस काय को पूरा करना आव यक है।
यह इस बात क ओर इशारा करता है िक भारतीय
जनमानस म िहंदी भाषा का िकतना वच व है। यहां तक क अंत म म कवल इतना ही कहना चाह ंगा िक भाषा वही
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सार िडिजटल मा यम म िहंदी क पह ंच बढ़ी है। चाहे वह जीिवत रहती है िजसका योग आम लोग ारा िकया
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ब क एटीएम हो या िकसी सरकारी या गैर सरकारी फम या जाता है। भारत म सभी क लोग क बीच संवाद का
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अ य सार मा यम म िहंदी का िवकास तजी से हो रहा है। सबसे बेहतर मा यम िह दी है। भारत का कोई भी रा य हो
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भिव य म िहंदी का वच व कम से कम दि ण एिशया क
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आज िहंदी सभी तर क लोग समझते । भाषा वाद से
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े म तो अव य ही रहेगा और इसका कारण है बह त बड़ े
उपर उठकर हम इस बात को भी समझना चािहए िक िहंदी
वग का िहंदी भाषा जानना। िहंदी भाषा क मह ा का
िकसी िविश ांत एवं समुदाय क भाषा नह है बि क यह
अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है िक िव क
पूर िहंदु थान क भाषा है और इसक सार से पूर देश म
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शीषतम सॉ टवयर क ं पनी माइ ोसॉ ट ने अपने उ पाद
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एकता क भावना और मजबूत होगी। जब िहंदी क िवकास
को िहंदी म बनाना भी शु िकया है।
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एवं उ नित क बात करत है तो हम सभी का यह
उ रदािय व बनता है िक इस व ािनक भाषा को खुल कर
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िव िहंदी िदवस क इस अवसर पर यह कहना अनुिचत
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अपनाकर िहंदी को राजभाषा से रा भाषा बनान म अपना
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नह िक राजभाषा क काया वयन क िलए िकए जाने वाले
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सकारा मक योगदान दान कर।
कई काय म बह त पुराने पड़ गए ह । इनक ासंिगकता
िहंदी भाषा एक ऐसी साव जिनक भाषा है, िजसे िबना भेद -भाव येक भारतीय हण कर सकता है ।
मदन मोहन मालवीय
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