Page 12 - Konkan Garima ank 19
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                                                                                                                   2
                                                                                                                  2

                                                                                                           ा
                                                                                                          म
                                                                                                              ,
                                                                                                            च
          अं क   -   1 9                                                                                  माच , 2022
          अंक - 19

                        े
            ह । राजभाषा क सुगम  योग क िलए बनाए गए  ौ ोिगक   म  हो तो उस देश क  मु य भाषा को        अनदेखी करना
                                                                     ,
                                     े
                                                                                                      े
                                      -
                                                                                             े
                                    -
            औजार खासतौर पर कािबल ए तारीफ ह ।                    मुि कल है। मतलब यही िक देश क िवकास क साथ अपनी
                                                                भाषा का भी मह व है। िवकास चाहे  ौ ोिगक   े  का हो,
            िहंदी  क  अनुवाद  काय   को  सुगम  बनाने  क  िलए  कई   या  यावसाियक  े  का हो  लोबल  ड म  भाषा  वेश कर
                  े
                                                  े

            सॉ टवयर आजकल उपल ध ह , िजनक ज रये िहंदी का          जाती है। पूंजी िनवश क अनुपात म  भाषा क उपयोग का
                                              े
                  े
                                                                                    े
                                                                                                      े
                                                                            -
                                                                                े
                                                        े
            कवल अनुवाद ही नह , बि क पहले जो साम ी अं जी म       अनुपात बढ़ता है। इसिलए िहंदी का िवकास भारत क
             े
                                                                                                                े
            उपल ध थी उसक  जगह अब िहंदी का वच  व अनुभव           अपने िवकास पर िनभ र है। वि क बाजार म  अगर भारत
                                                                                         ै
                                              े
                                     े
            िकया जा सकता है। िहंदी क  वबसाइट  क उपभो ाओं क      क  भूिमका बढ़गी तो िनि त  प से िहंदी का दायरा भी
                                                                                ,
                                                                             े

            सं या म  अभूतपूव  वृि  ह ई है। िहंदी आम आदमी क      बढ़गा। इस तरह हम अं जी क दबाव से मु  हो सकते ह ।
                                                                   े
                                                                                         े
                                                                                    े
                  े
            भाषा क  प म  देश क  एकता का सू  है। सभी भारतीय
                                     े
            भाषाओं क  बड़ी बहन होने क नाते िहंदी िविभ न भाषाओं   आज  क   तारीख  म   राजभाषा  िहंदी  का  दायरा  काफ़

                                                                                                    ै
             े
            क उपयोगी और  चिलत श द  को अपने म  समािहत            अिधक बढ़ गया है। िहंदी  ौ ोिगक , वि क माकिटंग
                                                                                           े
                े
            करक सही मायन  म  भारत क  संपक भाषा होने क  भूिमका   तकनीक और अंतररा  ीय  रलशन क  भाषा बन चुक  है।

                                                                                         े
            िनभा रही है। िहंदी जन-आंदोलन  क  भी भाषा रही है। िहंदी   इसे और तेज गित से आगे ल जाना अ यंत आव यक है।
                                                                                                    ै
            क मह व को गु देव रवी   नाथ टगोर ने बड़ सुदर  प म     िहंदी  राजभाषा  से  िनकल  कर  एक  वि क  भाषा  म
                                         ै
             े
                                                  े
                                                    ं
                                                                                                       े
              तुत िकया था। उ ह ने कहा था, 'भारतीय भाषाएं निदयां   प रवित त हो रही है। यह िवकास क  भाषा क  प म  भी
                                                                               े
            ह  और िहंदी महानदी'। िहंदी क इसी मह व को देखते ह ए   उभर रही है। इसक िलए हम सभी को स मता और भाषायी
                                      े

            तकनीक  क ं पिनयां इस भाषा को बढ़ावा देने क  कोिशश    संक णताओं से आज़ाद होकर देश क  अ य भाषाओं को
                                                                              े
            कर रही ह । यह खुशी क  बात है िक सूचना  ौ ोिगक  म    िवकिसत करने क िलए  यास करने ह गे।
                                                      े
                        े
            िह दी का इ तमाल बढ़ रहा है। आज व ीकरण क दौर म ,
                                             ै
                                                                       े
                                                                िहंदी क  बढ़ते  भाव को देखते  ह ए आजकल इसका
            िहंदी  िव    तर  पर  एक   भावशाली  भाषा  बनकर
                                                                 यापारीकरण भी हो रहा है। मुझे याद है िक क ु छ साल पहले

            उभरी है । आज पूरी दिनया म  लगभग 175    से अिधक
                                ु
                                                                अिधकतर  यूज चैनल अं जी म   सा रत होते थे परंतु िजस
                                                                                       े
            िव िव ालय  म  िह दी भाषा पढ़ाई जा रही है।  ान-


                                                                 कार िहंदी भाषा िव  तरीय भाषा बन रही है इसे देख क ु छ
                              े

            िव ान क  पु तक बड़ पैमाने पर िहंदी म  िलखी जा रही है।
                                                                                              े
                                                                चतुर  यापा रय   ारा ि ंट और इल  ॉिन स मीिडया भी
            सोशल मीिडया और संचार मा यम  म  िहंदी का  योग
                                                                                                           े
                                                                िहंदी म  अपने सं करण  िनकाल रही है और पहल से भी
            िनरंतर बढ़ रहा है।
                                                                अिधक मुनाफा अिज त कर रही है। परंतु खेद इस बात का है
                        क
            िकसी भी देश  िवकास म  भाषा का योगदान बह त बड़ा

                         े
                                                                िक जब िहंदी को खुलकर समथन देने क  बात आती है तो

                      इ
                         े
                        स
            होता है और  नकारा नह  जा सकता है। यिद सही िदशा
                                                                           ह
                                                                    े
                                                                पीछ हट जाते  ।


                                                               4 10
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