Page 10 - Konkan Garima ank 19
P. 10

अंक - 19                                                                                        माच , 2022









                                                            माँ

                                                                                               - संतोष क ु मार झा
                                                                                           िनदेशक (प रचालन एवं वािण य)

                                                                         े
                                          आप दुिनया क  िकतनी बड़ी भी परशानी म  ह
                                   माँ का यह कहना िक सब ठीक हो जाएगा एक जाद कर देता है ।
                                                                               ू

                                         आप िकसी भी उ  क ह  मा का सर पे हाथ फरना
                                                                 ँ
                                                                                े
                                                           े
                                 िजतना सुक ू न देता है उतना कोई भी मसाज पाल र नह  दे सकता है ।
                                                            े
                                                 े
                            जब भी कोई डर, दद , बचैनी या अकलापन हो माँ क पास बैठ कर मन क  बात
                                                                         े
                                                 कह देने से जो शांित िमलती है
                                                      े
                                         वो िकसी मेिडटशन से हािसल नह  हो सकती है ।
                                                                         े
                                               आिखर  या जादू होता है माँ क पास
                                   िक आपका हर दुख दूर कर देती है माँ िसफ एक  यार क  थाप से,


                              और अपनी वाणी से आ  त कर देती है िक कोई भी िवपि  आपका क ु छ भी
                                                      नह  कर सकती है ।


                                   माँ क  गोद दुिनया क  सबसे सुरि त जगह  य  मालूम होती है

                                                                   े
                                                                      ँ
                                                                                ँ
                                          मा का आशीवा द और उसक आचल क  छाव
                                            ँ
                                      िवपदा क  कड़ी धूप म  आपको सदैव सुरि त रखती है।
                              िफर  या होता है िक हम दिनया क  सबसे महफ़ ू ज़ जगह छोड़कर  कह  और
                                                    ु
                                                    आिशयाना बसा लेते ह

                                  और दुिनया क  हर मुसीबत को अनजाने म  अपने पास बुला लेते ह  ।


                                            ई र ने माँ को बवजह तो नह  बनाया होगा
                                                          े
                                            िनः वाथ   म का एक पुतला बनाया होगा
                                                      े
                                                    अपना  ितिनिध बनाकर
                                                   उसे हर घर म  बसाया होगा ।


                                               े
                                         तािक  म का पहला संदेश हर घर म  माँ से शु  हो
                                            े
                                               े
                                                  े
                                    और माँ क  म क असीिमत िव तार से यह दिनया भरी पुरी रहे
                                                                          ु

                                        मगर इ सान इस  म क  मूित को घर म  नह  रखता है
                                                       े
                                           और दिनया क  तमाम मुसीबत  को सहता है ।
                                                ु

                                                               8
   5   6   7   8   9   10   11   12   13   14   15