Page 8 - Konkan Garima ank 19
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अंक - 19 माच , 2022
समकालीन िववरण से ात होता है िक अनेक िह दी भाषी यापा रक कारण से भी महारा म िह दी भाषा का
यापारी महारा म यापार हेतु आए और अनुकू ल ि थित चलन एवं िवकास ह आ है।
देखकर यहाँ बस गए। वे अपने साथ जो िह दी भाषा ले आए राजनीितक: धािम क तथा यापा रक कारण क भाँित
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उनका भाव समीपवत प रवार तथा समाज पर महारा म िह दी भाषा क चार एवं िवकास म राजनीितक
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वभावतः पड़ा । महारा क कितपय यापारी िह दी भाषी ि थित का बड़ा हाथ रहा है। इितहास से ात होता है िक
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देश क नगर म जाकर बस िज ह वहाँ क िह दी भाषा भी भारत क राजनीितक े म महारा का संबंध सदा बना
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सीखनी पड़ी। मराठा शासन काल क उ राध म इ दौर, रहा िजसक प रणाम व प उसे िह दी भाषी देश क
धार देवास वािलयर आिद िह दी भाषी े म मराठी क शासन क भाषा को आ मसात करना पड़ा। दि ण म
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रा य सं थान का िनमाण ह आ। प रणाम व प महारा जानेवाले आय अपने साथ म य देश क िह दी भाषा ले
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का िह दी देश से संबंध अिधक घिन होता गया। कई गए थे जो धीर धीर वहाँ भी आपसी यवहार क भाषा बन
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मराठी राजवंश इ ह िह दी भाषी देश म बसे और चुक थी। सन 1229 ईस म चालु य राजा सीमे र ारा
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यावहा रकता क ि से उ ह न िह दी भाषा का योग एवं िलिखत अिभलािषताथ िचंतामिण म देश भाषा क जो
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संवधन िकया। उदाहरण िदए गए ह उसम िह दी का उदाहरण भी ह । इससे
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प होता है िक मुि लम शासन क पूव ही महारा म िह दी
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िह दी भाषा देश म ि थत िसंिधया होलकर आिद सरदार भाषा का चलन था। तुक क अिभयान से पूव महारा म
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क पास मनोरंजन करने वाली कु छ यावसाियक नाटक जो िह दी उपल ध होती है उसम शौरसनी अप ंश,
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मंडिलया तथा कलाकार याज न क इ छा से ायः जाया जभाषा तथा ाचीन महारा ी का िम ण िमलता है। सन
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करते थ। वह उ ह मराठी क अित र िह दी म भी अपनी 1294 व म आए िखलजी ने महारा क राजधानी
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कला क अिभ यि करनी पड़ती थी। मराठ क सेना म देविग पर आ मण कर वहाँ क राजा रामदेवराय को
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मराठ क अित र अरब मुसलमान तथा िह दी भाषी परािजत िकया। उसक बाद तीन बार उसन आ मण िकया
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लोग भी बह त सं या म नौकरी करते थे । उनक संपक म और अंत म अपना अिधप य जमा िलया। शासन यव था
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आनवाले लोग को उनक साथ िह दी म बोलना पड़ता था । क िलए उसने जो अिधकारी िनयु िकए थे उनक भाषा
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मराठीतर भाषी लोग क मनोरंजन हेतु यावसाियक िह दी ही थी। उनक संपक म यहां क जनता जाती रही।
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मंडिलया अपने काय म को कभी कभी िह दी म तुत 14व शता दी म मुह मद तुगलक ने अपनी राजधानी
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करती थी। महारा म पेशवाओं क समय दशहरा, िद ली से महारा म देविग को थानांत रत करन का
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दीपावली तथा अ य पव पर संगीत क जो काय म रखे िनण य िलया फल व प कई िह दी भाषी प रवार
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जात य उनम तराजा रखता क वाली तथा शा ीय कमचारी सिनक आिद को महारा म आना पड़ा। बाद म
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संगीत क राग रािगिनय से यु िह दी पद भी गाये जाते थ, य िप इनम से अिधकांश लोग को िद ली लौटना पड़ा,
िज ह यहाँ क जनता अ यंत िच से सुनती थी। इस कार िफर भी कितपय प रवार रह गए थ। मुसलमान क संसग म
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