Page 5 - Konkan Garima ank 19
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अंक - 19                                                                                        माच , 202 2








                                                   संपादक य



                                             ''
                                                                        े
                                 ''क कण ग रमा का   19वां अंक  बु  पाठक  क स मुख   तुत करते ह ए मुझे अ यंत आनंद क
                                                 '
                                 अनुभूित हो रही है।  क कण ग रमा क इस अंक म  क कण रलवे क रचनाकार  क  तकनीक  और
                                                 '
                                                               े
                                                                                 े
                                                                                      े
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                                                                                           े
                                 सािहि यक रचनाओं को शािमल करते ह ए राजभाषा िवभाग क मानदंड  क अनु प तथा पठनीयता
                                                                                  े
                                 को भी बरकरार रखने का हर संभव  यास िकया गया है। आशा है िक हमारा यह  यास आपको
                                 पसंद आएगा।

                     क कण रलवे म  प रचालन ,प रयोजना और  ाहक संतुि  काय  क साथ -साथ िहंदी क  सार म  भी अ णी भूिमका
                                                                        े
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              िनभाते ह ए मु यालय और सभी अधीन थ काया लय  म  िहंदी क  गितिविधयां हष  लास क साथ काया ि वत क  जा रही ह
                                                                                     े
                                                             े
                                                                    '
                                                                   '
              और अिधकािधक उपलि धयां हािसल क  जा रही ह । इसक साथ  क कण ग रमा का िनरंतर  काशन भी एक मह वपूण
                                                                               '
                                                                               '

              उपलि ध है। इस उपलि ध क िलए हमार उ च अिधका रय  को हािद क आभार िजनक   ेरणा और  ो साहन से हम इस काय
                                             े
                                    े
                                                                                               '

              को  लगातार  द ता  क  साथ  आगे  बढ़ा  रहे  ह ।  अ य  काय   क   तरह  हमार  सभी साथी  क कण  ग रमा का   काशन  काय
                                                                                   '
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                                                                                               '
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              त परता और  ाथिमकता क साथ कर रहे ह  इसक िलए संपादक य टीम का म  बह त आभारी ह ँ ।

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                     क कण रलवे क साथ पूर देश म  राजभाषा -िहंदी क   गित म  हमारा योगदान रहे , इसी उ े य को  यान म  रखते ह ए
                                 े

              हमने इस अंक क  साम ी िविवधतापूण  सं िहत करने का  यास िकया है। इस अंक म  िहंदी क  ानवध न हेतु महारा   म
                                                                                         े
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                                                                   ,


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              िह दी भाषा का  सार िह दी िवकास क  भाषा  योजनमूलक िह दी तकनीक  लेख नैनो िव ान और  ौ ोिगक  क कण
                                                  ,

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                                :

              रल  क   नई  प रयोजना रल  िव ुतीकरण क कण  रलवे  पर  काया ि वत  राजभाषा  गितिविधय   क   झलिकया नेपाल  रल

                                              ,
                                                                                                             े
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                          ,
               िश ण क पल पय टन और  वा  य संबंधी  ानवध क लेख  को सि मिलत िकया गया है। इन साम ी से यह अंक रोचक,
              पठनीय और उपयोगी बनाने का हर संभव  यास िकया है। उ मीद है िक सभी लेख और अ य रचनाएं साम ी आपको अव य
                                                                                            ,
              पसंद आएगी ।
                                                                     े
                     ''क कण  ग रमा आपक   अपनी  पि का  है।  क कण  रलवे  क  तथा  अ य  प रवारजन   एवं  सभी  पाठक   से  हमारा
                                 ''
                                                                े
              आ ह है िक इस पि का म   कािशत लेख रचनाओं अ य साम ी आिद क बार म  अपनी िट पिणयां एवं  िति याओं से हम

                                                                        े
                                               ,
                                                                            े
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                                                                                   े

              अव य अवगत कराएं िजससे िक हम आपक   िच क अनुसार पि का  कािशत कर सक । आशा है िक आपक  पि का क
                              ,
              िवकास या ा म  आप अपना पूरा योगदान द गे।
                     अंत म  यह भी अनुरोध रहेगा िक  ''क कण ग रमा '' का अिधक से अिधक  चार - सार िकया जाए , तािक पि का से
              अिधकािधक पाठक जुड़ सक।
                                    े
                                                                                             -संपादक
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