Page 11 - Konkan Garima ank 19
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अंक - 19                                                                                        माच , 2022









                                              िहंदी िवकास क  भाषा
                                                                                                 - सतीश एकनाथ धुरी
                                                                                                              े
                                                                                           किन  अनुवादक , क कण रलवे
                        ह

                                                            े
                                    1
                        े
                                     4

                                             क

            हम सब जानत   िक भारत म   िसतंबर  िहंदी िदवस क  ह , िजनसे राजभाषा क  सं ेषणीयता म  अड़चन आती है।
                                               ो
                                    म
                                                            े
             प म  मनाया जाता है। भारत   राजभाषा क  ित लोग  क  िजस साम ी म  पा रभािषक श दावली क  भरमार हो, वह
                                                े

                                                                                     े
                                  -
             दय म  एक सश  भाषा  ि  िवकिसत करने म  िहंदी  सामा य पाठक समाज क िलए मुि कल  उ प न करती है।
                                                            े
            िदवस का आयोजन काफ  उपयोगी िस  ह आ है। इससे पूर  ऐसे म  राजभाषा िहंदी, चाहे वह  शासन क  भाषा हो,
            देश और समाज म  िहंदी बड़ पैमाने पर  वीकार क  गई है।  िव ान क  हो, िव ीय  े  क  हो, या राज व क , कृि म
                                   े
                                                                          े
            अब यह मा   शासन और िश ा क  भाषा नह  है। बि क  भाषा क   णी म  िगनी जाती है। पर यह देखा गया है िक
                         ,
            अब यह िव ान  ौ ोिगक  इंजीिनय रंग तकनीक और  सािहि यक िबरादरी क लोग राजभाषा िहंदी को  वीकार

                                    ,


                                               ,
                                                                                   े
                                                      े
            र ा  े  क  भाषा हो गई है। िव  और कारोबार क  े  म   करने को तैयार नह  ह । इस संदभ  म  यह कहना बह त ज री

            भी िहंदी ने अपनी जड़ मजबूत क  ह । कु छ समय पहले जब  है िक सािहि यक भाषा का रचना मक सौ व राजभाषा

                                                        ,
                                      े
            राजभाषा िहंदी अं जी क पीछ चल रही थी परंतु िहंदी  िहंदी को  ा  नह  हो सकता। इसका मतलब यह नह  है िक

                                                  ,
                                 े
                             े
            अपने  व ािनकता  क  कारण  कालांतर  म   अं जी  क  राजभाषा िहंदी कृ ि म भाषा का नमूना पेश कर रही है।
                                                       े
                                                            े
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                   ै
            समक  आ गई और आज यह अं ेजी से भी आगे चल रही  उसक   असं षणीयता  उसम    यापक  पमाने  पर   यु
                                                                            े
                                                                                                   ै

                                                                                  े





                          ,
            है। इतना ही नह  भाषा क  ित हमारा नज रया भी बदल  पा रभािषक श द  क कारण है।
                                  े



                                                                                                  े

            गया है। पहल हमारा यही मानना था िक अं जी का कोई       वातं यो र भारत म  राजभाषा िहंदी क काया वयन का
                                                  े
                       े
                                                                     -
            दूसरा िवक प नह  है पर आज यह ि थित नह  है। इसे       प सठ िछयासठ  वष   का  इितहास  है।  कई   कार  क
            राजभाषा िहंदी का इि छत िवकास कहा जा सकता है,        किठनाइय  को पार कर राजभाषा िहंदी ने अपना एक
                                                                                                                े
                                                                                                 -
            िजसक िलए िहंदी भाषी लोग  क  तरह िहंदीतर  देश  क     इि छत  व प  ा  िकया है। अलग अलग  देश  क
                 े
                                                            े

                                                                      -
                                                                                                     अ
            लोग  क  भी मह वपूण   भूिमका है।                     अलग अलग कायालय  म  िहंदी िदवस को  नु ािनक या
                                                                                                     ,

                                                                                                                े

                                       े
                                      क

            अनूिदत भाषा क  सीमाएं होने  कारण अ सर यह सुनने  औपचा रक ढंग से मनाया जाता है। अथात उस भाषा क
                                                                           े
            म  आता है िक राजभाषा िहंदी का भािषक  व प  ीित द   ित िकसी क मन म  आ था जागृत होती नह  है। लेिकन हर
                                                                                      े
            नह  है। एक सफल अनुवादक अपने अनुवाद कला का  जगह ऐसा नह  है। इसक बावजूद राजभाषा िहंदी क

            सव  कृ   दशन कर िकसी भी सािहि यक रचना का ऐसा   ो नित अव य ह ई है। िहंदी का एक नया  प सामने आया
                                                                                                  े
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            अनुवाद   तुत कर सकता है िक लगगा नह  िक वह  है। उसे अिधकािधक सं षणीय बनाने क कई  यास िकए
            अनुवाद है। अ छा अनुवाद एक  कार से अनुसृजन ही है।  जा रहे ह । इस तरह िहंदी का यह नया  प भारत क  मु य
            मगर राजभाषा क अनुवाद क  करण म  यह पूरी तरह से  भाषा क  प म  उसे  थान िदलाने म  मदद पह ंचा रहा है।
                          े
                                     े
                                                                       े
                                                                                          े
            संभव नह  है। उसम  मामूली भाषा म   यु  होने वाले श द   शु आत म  िहंदी िदवस से जुड़ कई काय  म सांिवधािनक
                                           े
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            क अलावा कई पा रभािषक श द  क भी  योग होते रहते  आपूित  हेतु चलाए जाते थ। लेिकन आज हालात बदल गए
                                                                                      े
                                                               9
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