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अंक - 19 माच , 2022
िहंदी िवकास क भाषा
- सतीश एकनाथ धुरी
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किन अनुवादक , क कण रलवे
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हम सब जानत िक भारत म िसतंबर िहंदी िदवस क ह , िजनसे राजभाषा क सं ेषणीयता म अड़चन आती है।
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प म मनाया जाता है। भारत राजभाषा क ित लोग क िजस साम ी म पा रभािषक श दावली क भरमार हो, वह
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दय म एक सश भाषा ि िवकिसत करने म िहंदी सामा य पाठक समाज क िलए मुि कल उ प न करती है।
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िदवस का आयोजन काफ उपयोगी िस ह आ है। इससे पूर ऐसे म राजभाषा िहंदी, चाहे वह शासन क भाषा हो,
देश और समाज म िहंदी बड़ पैमाने पर वीकार क गई है। िव ान क हो, िव ीय े क हो, या राज व क , कृि म
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अब यह मा शासन और िश ा क भाषा नह है। बि क भाषा क णी म िगनी जाती है। पर यह देखा गया है िक
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अब यह िव ान ौ ोिगक इंजीिनय रंग तकनीक और सािहि यक िबरादरी क लोग राजभाषा िहंदी को वीकार
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र ा े क भाषा हो गई है। िव और कारोबार क े म करने को तैयार नह ह । इस संदभ म यह कहना बह त ज री
भी िहंदी ने अपनी जड़ मजबूत क ह । कु छ समय पहले जब है िक सािहि यक भाषा का रचना मक सौ व राजभाषा
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राजभाषा िहंदी अं जी क पीछ चल रही थी परंतु िहंदी िहंदी को ा नह हो सकता। इसका मतलब यह नह है िक
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अपने व ािनकता क कारण कालांतर म अं जी क राजभाषा िहंदी कृ ि म भाषा का नमूना पेश कर रही है।
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समक आ गई और आज यह अं ेजी से भी आगे चल रही उसक असं षणीयता उसम यापक पमाने पर यु
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है। इतना ही नह भाषा क ित हमारा नज रया भी बदल पा रभािषक श द क कारण है।
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गया है। पहल हमारा यही मानना था िक अं जी का कोई वातं यो र भारत म राजभाषा िहंदी क काया वयन का
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दूसरा िवक प नह है पर आज यह ि थित नह है। इसे प सठ िछयासठ वष का इितहास है। कई कार क
राजभाषा िहंदी का इि छत िवकास कहा जा सकता है, किठनाइय को पार कर राजभाषा िहंदी ने अपना एक
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िजसक िलए िहंदी भाषी लोग क तरह िहंदीतर देश क इि छत व प ा िकया है। अलग अलग देश क
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लोग क भी मह वपूण भूिमका है। अलग अलग कायालय म िहंदी िदवस को नु ािनक या
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अनूिदत भाषा क सीमाएं होने कारण अ सर यह सुनने औपचा रक ढंग से मनाया जाता है। अथात उस भाषा क
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म आता है िक राजभाषा िहंदी का भािषक व प ीित द ित िकसी क मन म आ था जागृत होती नह है। लेिकन हर
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नह है। एक सफल अनुवादक अपने अनुवाद कला का जगह ऐसा नह है। इसक बावजूद राजभाषा िहंदी क
सव कृ दशन कर िकसी भी सािहि यक रचना का ऐसा ो नित अव य ह ई है। िहंदी का एक नया प सामने आया
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अनुवाद तुत कर सकता है िक लगगा नह िक वह है। उसे अिधकािधक सं षणीय बनाने क कई यास िकए
अनुवाद है। अ छा अनुवाद एक कार से अनुसृजन ही है। जा रहे ह । इस तरह िहंदी का यह नया प भारत क मु य
मगर राजभाषा क अनुवाद क करण म यह पूरी तरह से भाषा क प म उसे थान िदलाने म मदद पह ंचा रहा है।
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संभव नह है। उसम मामूली भाषा म यु होने वाले श द शु आत म िहंदी िदवस से जुड़ कई काय म सांिवधािनक
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क अलावा कई पा रभािषक श द क भी योग होते रहते आपूित हेतु चलाए जाते थ। लेिकन आज हालात बदल गए
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