भू तकनीकी सुरक्षा कार्य
भू-तकनीकी सुरक्षा कार्य |
निम्नलिखित भू-तकनीकी संरक्षा कार्य किए गए हैं : |
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बोल्डर नेटींग |
बोल्डरनेटींग एक संरक्षात्मक उपाय है। संरक्षात्मक उपायों के रूप में कोंकण रेलवे द्वारा अपनाई गई है। यह निम्न स्थानों पर प्रयोग की गई है: |
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उच्च शक्ति स्टील बोल्डर नेट स्टील की रस्सियों से बना है। इस से रॉक कटिंग से अलग हुए / ढिले हुए बड़े आकार के बोल्डर या रॉक को ट्रैक के उपर गिरने से रोकने में मदद करता है। |
बोल्डर नेटींग |
बी) मध्यम शक्ति स्टील बोल्डर नेट : |
ऐसे स्थान जहां यह माना गया है कि रॉक कटिगों में छोटे या मध्यम आकार बोल्डर जिसमें जाईंटेड/खंडित रॉक संरचना है। छोटे आकार के बोल्डर को ट्रैक पर गिरने से बचाव के लिए मध्यम शक्ति स्टील बोल्डरनेट को लगाया गया है। यह एक यंत्रवत् बनी गई 100मी.मी. x 120मी.मी. आकार की तार का जाल है। इस जाल की टेंसिल शक्ति 35कीलो न्यूटन/वर्ग मीटर है। |
स्टील बोल्डर नेट |
रॉकबोल्टिंग |
कोंकण रेलवे में सुरंगों और कटींगों में रॉक से ढ़ीले बोल्डरों को ऐंकर करने और उन्हें गिरने से रोकने के लिए रॉकबोल्टिंग किया गया है। |
रॉकबोल्टिंग एक रॉक आधार प्रणाली है जो आम तौर पर अत्यधिक / जोइंटेड / ब्लॉकी अर्थात् कमजोर गुणवत्ता रॉक स्तर में लागू होता है। ये रॉक बोल्ट जब एक पैटर्न में स्थापित किए जाते है। सुरंगों के ऊपरी भाग में संपीड़न का एक क्षेत्र बनता है। इस प्रणाली में, रॉक विफलताओं को पैटर्न बोल्ट की टेंशन के माध्यम से रोका जाता है, जिससे रॉक स्तर को कंप्रेशन में रखा जाता है और कमजोर रॉक स्तर में तनाव के विकास को रोका जाता है। विभीन्न प्रकार के बोल्ट जैसे की यांत्रिक बोल्ट, सीमेंट कैप्सूल के साथ बोल्ट, पूरी तरह से सीमेंट ग्राउटेड बोल्ट, आदि रॉक स्तर के आधार के लिए इस्तेमाल किये जाते हैं। |
कोंकण रेलवे में कमजोर रॉक स्तर में, 3मी. लंबे, 25मी.मी. व्यास, टोर स्टील और सीमेंट कैप्सूल भरे रॉक बोल्टों का इस्तेमाल 1.5 मी. से 2मी. कंपित पैटर्न में ज्यादातर सुरंग की छत में और सुरंगों के दीवारों पर और कटींगों के रॉक ढ़लानों में किया गया है। रॉक बोल्ट का आधार शॉटक्रीट के साथ कमजोर रॉक में किया गया है। इस आधार से सुरंग की छत और दीवारों से बड़े आकार के पत्थरों को गिरने से रोका जाता है और सुरंगों को और अधिक सुरक्षित बनाया जाता है। |
करबुडे सुरंग में रॉकबोल्टिंग |
शॉटक्रीटींग |
के.आ.सी.एल. में शॉटक्रीटींग काम सुरंगों और कटिंगों में ढ़ीले चट्टानों को गिरने से रोकने के लिए किया गया है। शॉटक्रीटींग रेत, सीमेंट और 12मी.मी. आकार तक की मिट्टी का एक मिश्रण है जो चट्टान की सतह पर शॉटक्रीट उपकरण की मदद के साथ फैलाया जाता है। सिंथेटिक पॉलिस्टर फाइबर भी सामंजस्य बढ़ाने के लिए और संकोचन दरारों को कम करने के लिए जोड़ा है। यह एक बहुत ही प्रभावी और लचीला रॉक आधार प्रणाली है। यह पारंपरिक इस्पात आधार या कन्क्रीट स्तर आधार प्रणाली की तुलना में बेहद किफायती है। जब शॉटक्रीट फैल जॉइंटेड / खंडित रॉक स्तर पर दबाव के साथ फैलाया / लगाया जाता है। यह दरारें, फीशर्स, जॉइंट प्लेन्स, की खुली जगहों को भरता है और रॉक द्रव्यमान के वजह से रॉक विस्थापन को शॉटक्रीट के साथ कम करने में मदद करता है। नम हवा और / या जमीन पानी के संपर्क में आने से रॉक स्तर में आनेवाला अपक्षय और अधिक गिरावट को शॉटक्रीट से चट्टान की सतह सील बंद करने से रोक जाता है। |
कारवार सुरंग में शॉटक्रीटींग |
ढ़लानों को चौड़ा बनाना, रोक दीवार बनाना, |
कोंकण रेलवे एक दुर्गम क्षेत्र के मध्य से गुजरता है और भारत के पश्चिमी तट में संरेखण के एक तरफ है और लाइन के पूर्वी तरफ पश्चिमी घाट की एक लंबी पर्वत श्रेणी हैं। कोंकण रेलवे पर एक गहन 3500 – 4000 मी.मी. औसत वर्षा प्रतिवर्ष होती हैं और इसकी तीव्रता अक्सर प्रति घंटे 50मी.मी. से अधिक है। लाइन का निर्माण जिस क्षेत्र में किया गया उसमें लेटराइट मिट्टी है, बोल्डर मिश्रित मिट्टी और जाईंटेड बेसाल्ट हैं। कोंकण रेलवे कुल का सुरुंग है जिसकी कुल लंबाई संचयी लंबाई 84.49 कि.मी. है| कुल 564 कटिंग है जिसकी कुल लंबाई 226.71 कि. मी. है। |
लेटराइट मिट्टी - विशेषताएं और समस्याएंS |
कोंकण रेलवे के निर्माण चरण के दौरान जो मानदंड अपनाए गए, ऐसे रॉक जिन्हें निकालने के लिए विस्फोट की आवश्यकता होती है और मिट्टी जिसे निकालने के लिए विस्फोट की आवश्यकता नहीं होती। |
बसाल्ट रॉक, को तोड़ने के लिये विस्फोट की आवश्यकता होती है | लेटराइट रॉक ¼:1 लेने के बजाय कभी-कभी यह ½:1 लिया गया इस विचार से कि लैटराइट रॉक हार्ड रॉक के जैसा नहीं है। वास्तव में लेटराइट रॉक मे रख-रखाव के लिए और अधिक कठिन साबित हुआ है। |
कटींगों की गहराई 10 से 45 मीटर है। इस के उपरी हिस्से से कुछ गहराई तक लैटरिटिक मिट्टी की परत है। निम्न हिस्से में बसाल्ट रॉक का स्तर है। कुछ कटींगों में एक रेड बोल क्षेत्र इन दो परतों के बीच मौजूद है। लेटराइट लोहे के आक्साइड की उपस्थिति की वजह लाल भूरे रंग के है। वे बहुत ही छिद्रयुक् और पारगम्य है। कोंकण क्षेत्र में बहुत अधिक वर्षा के कारण पानी का रिसाव होता हैं और लेटराइट मिट्टी पानी का अवशोषण करके अपना घनत्व बढ़ाती है, लेकिन अपनी स्थायित्व ताकत को खोती है। इसके अलावा उपरी कठिन लैटरिटिक मिट्टी के नीचे जल अवशोषण की वजह से कटींग कमजोर होती है जिसके परिणाम स्वरूप ढलान विफल होकर मिट्टी फिसल जाती है। |
लैटरिटिक चट्टानें, लिथोमार्जिक मिट्टी निरंतर भूवैज्ञानिक परिवर्तन के दौर से गुजरती है| अनुभव यह रहा है कि भारी वर्षा की ढ़लान अस्थिर हो जाती है। |
नियमित रूप से कमजोर ढ़लान का निरीक्षण किया जा रहा है और उन्हें स्थिर बनाने का प्रयास किया जा रहा है । इस प्रयोजन के लिए तीन वरिष्ठ अधिकारियों की एक विशेषज्ञ समिति कटींगों और सुरंगों का सालाना निरीक्षण कर रहे हैं और काम करने के बारे में अपनी सिफारिशें समिति से करते हैं। समिति के कार्यों की सिफारिशों के आधार पर आवश्यक प्राथमिकता और जोखिम के आधार पर हर साल काम पूरा किया जाता है। |
अनुसंधान अभिकल्प और मानक संगठन (आर.डी.एस.ओ.) टीम भी कोंकण रेलवे के शुरूवात से ही समय-समय पर कोंकण रेलवे कटींगों का निरीक्षण करता है और उनके विभिन्न रिपोर्टों और पत्र में मिट्टी और मिट्टी मिश्रित बोल्डर कटींगों में ढ़लानों को समतल बनाने और बर्म प्रदान करने के उपचारात्मक उपायों की सिफारिश की है। हालांकि, प्राथमिकता और जोखिम के आधार पर के.आर.सी.ल. ने पहचाने हुए कमजोर कटींगों में उपचारात्मक उपायों को हर साल पूरा कर दिया है। |
कोंकण रेलवे ने ढ़लानोँ को चौड़ा बनाने के लिए मिट्टी की खुदाई, कैच वाटर ड्रेन का लायनिंग और ड्रेन का कार्य किया हैँ। |
लेटराइट कटिंग में और खंडित / अपक्षय रॉक कटिंग में ढ़लानों को चौड़ा बनाने की तस्वीरें नीचे दी गयी है। |
खादेम कटिंग |
राजापूर दक्षिण कटिंग |
चिंचवली कटिंग |
मिट्टी कटाव की रोकथाम |
मिट्टी की कटींगों में ढ़लानों को 1:1 के स्लोप बनाकर 4 से 6 मीटर चौड़ा बर्म हर 6 से 8 मीटर की ऊंचाई पर रख के, मिट्टी को कटाव को रोकने के लिए स्थानीय रूप से उपलब्ध घास या वेटीवर घास का ढ़लान के उपर रोपण किया है। |