कोंकण रेलवे – हरित रेलवे

KONKAN RAILWAY – GREEN RAILWAY

पर्यावरण की रक्षा करने के लिए एक निरंतर प्रयास और प्रतिबद्धता के रूप में, कोंकण रेलवे इस मानसून के दौरान अपने मार्ग पर करीब 30,000 छोटे पौधों का रोपण कर रही है। कोंकण रेलवे अपने मार्ग के सुंदर प्राकृतिक दृश्यों के लिए प्रख्यात है जो यात्रा को गंतव्य स्थान पर पहुंचने जैसा आनंद देता हैं। कोंकण रेलवे अपने मार्ग के तटबंध, समपार फाटकों तथा कटिंगों आदि पर पेड़ और पौधों के रोपण से अपने मार्ग पर हरित क्षेत्र को बढ़ा रही है।

पिछले 3 वर्षों में, कोंकण रेलवे ने अपने मार्ग पर विभिन्न फल और फूल के एक लाख से अधिक पेड़ लगाए हैं। इसमें बोगनविलीया, बहवा, गुलमोहर, और पेल्टोफोरम जैसे विभिन्न सजावटी पेड़ भी शामिल है; जामुन, सीताफल, चीकू, चेरी, अमरूद, जैसे फल देने वाले पेड़; बादाम, अकसिया, सुरु, सतविन, आंवला जैसे छाया देने वाले पेड़; कंचन, नीम,अशोक जैसे औषधीय पेड़; सिल्वरओक, टीक, महोगनी, जैसे लकड़ी देने वाले पेड़, और बबूल,अस्टर,कसूरीना,बुगुरी आदि जैसे अन्य पेड़ शामिल है।

एक समय था जब पोमेंडी कटिंग को कमजोर कटिंग के रूप में वर्गीकृत किया गया था और व्यापक भू-संरक्षा कार्यों से उसे सुरक्षित बनाया गया। अब उसे वृक्षारोपण से सजाया जा रहा है। कोंकण रेलवे ने इस कटिंग के बर्म पर आम और काजू के 1000 पौधे लगाए है। वह पौधे अब 2 मीटर ऊंचाई के हो गए है और एक या दो साल में फल देने लगेंगे।

कोंकण रेलवे उस जगह की स्थिति के अनुसार बढ़ने वाले पेड़ों के प्रकार पर विशेषज्ञों तथा बागान मालिकों से सलाह भी लेती है। इस तरह के पौधों का चयन किया गया है जिनकी जड़ें मिट्टी में काफी गहरी होगी और उच्च बारिश तथा हवा के वेग को सह सके। इनमे से कोई भी पौधे जल स्तर तथा मिट्टी की क्षारीयता पर कोई भी प्रतिकूल प्रभाव नहीं करते हैं।

वर्तमान मानसून में रेलवे लाइन पर मुख्य रूप से प्रमाणित यार्ड और कटिंग में वृक्षारोपण करने की योजना है।

यहां उल्लेख करना उचित होगा कि कोंकण रेलवे ने अपने निर्माण चरण के दौरान वनस्पति और प्राकृतिक जलमार्ग को बाधा न होने के लिए भारतीय सुदूर संवेदन उपग्रह डेटा का उपयोग किया है। कोंकण रेलवे इसलिए, हरित रेलवे के रूप में जानी जाती है और वृक्षारोपण अभियान निगम के पर्यावरण पूरक नीति को बढ़ावा देने के लिए है।