कोंकण रेलवे मानसून का सामना करने के लिए तैयार

Konkan Railway Gears Up for Monsoon

इस वर्ष हमारा राष्ट्र वैश्विक कोविड-19 महामारी से लड़ रहा है। कोविड-19 के इस महामारी की स्थिति के दौरान, कोंकण रेलवे देशवासियों के कल्याण के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है और अपनी निरंतर माल ढुलाई सेवाओं के माध्यम से आवश्यक वस्तुओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए सभी प्रयास कर रही है। कोंकण रेलवे के कर्मचारी भी रेलपथ अनुरक्षण के लिए, सभी संरक्षा संबंधी दिशा-निर्देशों को सुनिश्चित करने और स्वच्छता एवं सामाजिक दूरी के मानदंडों को बनाए रखने के लिए सभी प्रयास कर रहे हैं।

कोंकण क्षेत्र, मानसून के दौरान भारी वर्षा के क्षेत्र के रूप में जाना जाता है। कोंकण रेलवे इस क्षेत्र से गुजरती है और इसमें 740 कि.मी. लंबाई का मार्ग शामिल है। कोंकण क्षेत्र में मानसून का सामना करने के लिए कोंकण रेलवे सुसज्ज है। कोलाड (मध्य रेलवे के रोहा स्टेशन के बाद) से ठोकुर (मंगलुरु स्टेशन से पहले) तक इस मार्ग पर सभी नियोजित संरक्षा कार्य पूरे किए गए हैं। जल निकास की सफाई और कटिंगों के निरीक्षण पर विशेष ध्यान दिया गया है। पिछले कुछ वर्षों में रेलवे लाइन के साथ बड़े पैमाने पर भू-सुरक्षा कार्य भी निष्पादित किए गए हैं, इससे बोल्डर गिरने और मिट्टी के खिसकने की घटनाओं में काफी कमी आई है, जिससे ट्रेनों का संरक्षित संचालन सुनिश्चित हो गया है। पिछले 7 वर्षों में मानसून के दौरान बोल्डर गिरने के कारण रेल सेवाओं में कोई बाधा नहीं आयी है।


 

कोंकण रेलवे गाड़ियों के संरक्षित संचालन को सुनिश्चित करने के लिए भारतीय रेलवे रेलपथ नियमावली के प्रावधानों के अनुसार मानसून पैट्रोलिंग का संचालन करेगी। मानसून के दौरान कोंकण रेलवे मार्ग पर लगभग 974 कर्मी गश्त करेंगे। अतिसंवेदनशील स्थानों पर चौबीसों घंटे गश्त लगाई जाएगी और महत्वपूर्ण स्थानों पर स्थायी चौकीदार 24 घंटे तैनात किया जाएगा। संवेदनशील स्थानों पर गति प्रतिबंध लगाए जाएंगे। किसी भी आपात स्थिति में तत्काल मूवमेंट के लिए सभी नामित पॉइंटों पर बी.आर.एन. माउंटेड एक्सवेटर तैयार रखे गए हैं।

 

लोको पायलटों को निर्देश दिए गए हैं कि भारी बारिश की स्थिति में दृश्यता कम होने पर गाड़ियों की गति को कम करते हुए 40 किमी प्रति घंटे की गति से गाडियाँ चलाई जाए। ऑपरेशन थिएटर के प्रावधान और आपातकालीन चिकित्सा सहायता प्रदान करने के लिए स्वचालित एआरएमवी (दुर्घटना राहत चिकित्सा वैन) को एआरटी (दुर्घटना राहत ट्रेन) के साथ रत्नागिरी और वेर्णा (गोवा) में तैयार रखा गया है।

आपातकालीन स्थिति में नियंत्रण कार्यालय / स्टेशन से संपर्क करने के लिए सभी संरक्षा श्रेणी के कर्मचारियों को मोबाइल फोन प्रदान किए गए हैं। गाड़ी के लोको पायलट और गार्ड दोनों को वॉकी-टॉकी सेट प्रदान किए गए हैं, साथ ही कोंकण रेलवे का प्रत्येक स्टेशन 25 वाट वी.एच.एफ. से सुसज्जित है।


 

यह गाड़ी चालक दल के बीच और साथ-साथ गाड़ी चालक दल तथा स्टेशन मास्टर के बीच वायरलेस संचार को सक्षम बनाता है। कोंकण रेलवे मार्ग पर औसतन 1 किमी की दूरी पर आपातकालीन संचार (ई.एम.सी.) सॉकेट प्रदान किए गए हैं, जो पैट्रोलमैन, चौकीदार, लोको पायलट, गार्ड और क्षेत्र के रख-रखाव करने वाले अन्य कर्मचारियों को किसी भी आपात स्थिति के दौरान स्टेशन मास्टर और नियंत्रण कार्यालय से संपर्क करने के लिए सक्षम बनाते हैं। एआरएमवी को सेवा के लिए आदेश दिए जाने पर आपातकालीन संपर्क के लिए ए.आर.एम.वी. (दुर्घटना राहत चिकित्सा वैन) में उपग्रह फोन संचार सुविधा प्रदान की गई है। सिगनल की दृश्यता में सुधार के लिए कोंकण रेलवे पर सभी मुख्य सिगनलों को अब एलईडी के साथ बदल दिया गया है।


 

माणगाँव, चिपलूण, रत्नागिरी, विलवडे, कणकवली, मडगाँव, करवार, भटकल और उडुपि 9 स्टेशनों पर सेल्फ रिकॉर्डिंग रेन गेज लगाए गए हैं, जो क्षेत्र में हुई वर्षा को रिकॉर्ड करेंगे और इसमें वृद्धि होने की स्थिति में अधिकारियों को भी सतर्क करेंगे। पुलों के लिए बाढ़ चेतावनी प्रणाली 3 स्थानों पर प्रदान की गई है, जो नदी में अचानक आई बाढ़ से जल प्रवाह खतरे के स्तर से ऊपर पहुंचने पर अधिकारियों को सतर्क करेगी।


 

संरक्षित गाड़ियों के संचालन को सुनिश्चित करने के लिए मानसून अवधि के दौरान बेलापुर, रत्नागिरी और मडगाँव में स्थित नियंत्रण कक्ष 24x7 कार्य करेंगे। मानसून समय सारणी 10 जून, 2020 से 31 अक्टूबर, 2020 तक लागू होगी। मानसून के दौरान यात्री www.konkanrailway.com पर जाकर या गूगल प्ले स्टोर से केआरसीएल ऐप डाउनलोड करके ऑनलाइन या 139 नंबर पर कॉल करके गाड़ी की स्थिति की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।


 

कोंकण रेलवे का लक्ष्य उपरोक्त किए गए उपायों के साथ आनेवाले मानसून में अपने यात्रियों के लिए संरक्षित यात्रा सुनिश्चित करना है।

L K Verma
Chief Public Relations Officer