संपूर्ण 740 किलोमीटर कोंकण रेलवे मार्ग के विद्युतीकरण का राष्ट्र को समर्पण

Dedication to the Nation of Electrification of the Entire 740 kms Konkan Railway route

कोंकण रेलवे के आने से देश के पश्चिमी तट पर स्थित कोंकण क्षेत्र के लोगों का सपना साकार हुआ है। इस क्षेत्र के लोगों को देश की वाणिज्यिक राजधानी मुंबई से जोड़ने पर उनके लिए बेहतर आर्थिक अवसर प्राप्त हुए हैं।

कोंकण रेलवे का गठन 1990 में मुंबई (रोहा) से मंगलुरु (ठोकुर) के बीच रेल लिंक के निर्माण के लिए एक कंपनी के रूप में किया गया था। 1 मई, 1998 को, तत्कालीन माननीय प्रधान मंत्री, स्वर्गीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा कोंकण रेलवे को राष्ट्र को समर्पित किया गया था और पूर्ण ट्रैक पर पहली ट्रेन को 26 जनवरी, 1998 को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया था।

कोंकण रेलवे ने माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी के कुशल नेतृत्व और माननीय रेल मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव, माननीय राज्य मंत्री श्री रावसाहेब पाटिल दानवे और माननीय राज्य मंत्री श्रीमती दर्शना जरदोश के मार्गदर्शन में विभिन्न बुनियादी संरचना विकास को पूरा किया है।

माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 'मिशन 100% विद्युतीकरण - संपूर्ण शून्य कार्बन उत्सर्जन की ओर' के तहत आज बेंगलुरु, कर्नाटक में वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से कोंकण रेलवे मार्ग के 100% विद्युतीकरण को राष्ट्र को समर्पित किया और रत्नागिरी, मडगांव और उडुपी से इलेक्ट्रिक लोको ट्रेनों को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। परियोजना की कुल लागत ₹1287 करोड़ है।

कोंकण रेलवे पश्चिमी तट के सह्याद्री पहाड़ियों के घने जंगल से होकर गुजरती है। यह क्षेत्र समृद्ध प्राकृतिक सुंदरता से संपन्न है। कोंकण रेलवे मार्ग का विद्युतीकरण न केवल क्षेत्र की समृद्ध प्राकृतिक विरासत, वनस्पतियों और जीवों के संरक्षण में एक बड़ा कदम साबित होगा बल्कि यह इसके आर्थिक विकास में भी मदद करेगा।

संरेखण, भौगोलिक रूप से कठिन क्षेत्र से होकर गुजरता है, कोंकण रेलवे मार्ग पर बड़े पुल, गहरी कटिंग और लंबी सुरंगें हैं। मार्ग पर 91 सुरंगें हैं और सुरंग सेक्शन में मार्ग की कुल लंबाई 84.496 किमी (कुल मार्ग लंबाई का लगभग 11%) है। सात बड़ी लंबी सुरंगों में फोर्सड वेंटिलेशन सिस्टम उपलब्ध कराया गया है।

कई कार्यस्थलों पर वाहन से न पहुंचने के कारण कार्य स्थल पर भारी सामग्री का परिवहन करना अधिक कठिन था। मानसून के दौरान रेलवे विद्युतीकरण करना विशेष रूप से एक बड़ी चुनौती थी जब अचानक बाढ़ आना और भूस्खलन/मिट्टी खिसकने के कारण गहरी और लंबे कटिंगों में कार्य प्रतिकूल रूप से प्रभावित हुआ था। 350 कटिंग में से 66 कटिंग महत्वपूर्ण और कमजोर हैं। अन्य रेलवे से अलग, नींव की कास्टिंग सामग्री को रेल पर से ले जाना पड़ता था जिसके लिए परिचालन ब्लॉक की आवश्यकता होती थी। इससे कार्य और भी जटिल हो गया।

कोंकण रेलवे का रेलवे विद्युतीकरण 5 चरणों में पूरा किया गया है अर्थात ठोकुर-बिजूर, बिजूर-कारवार, कारवार-थिविम, थिविम-रत्नागिरी और रत्नागिरी-रोहा, अंतिम सेक्शन रत्नागिरी-थिविम है जिसे 28.03.2022 को कार्यान्वित किया गया था। सभी लोको पायलटों को चरणबद्ध तरीके से इलेक्ट्रिक ट्रैक्शन लोको चलाने के लिए प्रशिक्षित किया गया है।

अब, कोंकण रेलवे 100% विद्युतीकृत है। इससे परिचालन क्षमता उच्च और परिवहन लागत कम होगी, जिससे देश के साथ-साथ निगम को भी लाभ होगा।

इलेक्ट्रिक ट्रैक्शन के कई अंतर्निहित लाभों पर ध्यान देना आवश्यक है, जैसे ईंधन व्यय में अत्यधिक बचत अर्थात ₹150 करोड़ प्रति वर्ष से अधिक, इलेक्ट्रिक ट्रैक्शन पर निर्बाध परिचालन, प्रदूषण रहित परिवहन और एचएसडी तेल पर कम निर्भरता। यात्रियों के लिए प्रदूषण रहित यात्रा खासकर जब गाड़ी सुरंगों से गुजरती है। कोंकण रेलवे मार्ग के विद्युतीकरण से सेक्शन की औसत गति और थ्रूपुट में भी सुधार होगा और लाइन क्षमता वृद्धि/उपयोग में मदद मिलेगी।

कोंकण रेलवे हमेशा अपने यात्रियों को उनकी आरामदायक और सुरक्षित यात्रा के लिए बेहतर यात्री सुविधाएं और बुनियादी संरचना प्रदान करने में विश्वास रखती है।

 

G R Karandikar
Deputy General Manager / PR